नेतागिरी

“मांझी के घरो में पूजा करने आये पंडितो पर SC-ST एक्ट लगाना चाहिए”, HAM पार्टी के विधायक व प्रदेश अध्यक्ष का विवादित बयान

बिहार: जुमई के सिकंदरा से विधायक व हम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रफुल्ल मांझी ने ब्राह्मण समाज के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया है। उन्होंने स्थानीय मीडिया से बातचीत में कहा कि पंडितो पर एससी एसटी एक्ट लगाना चाहिए। प्रफुल्ल मांझी के इस बयान से एक बार फिर हम पार्टी विवादों से घिर गई है। दरअसल स्थानीय मीडिया ने प्रफुल्ल मांझी से बातचीत में जीतन राम मांझी द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयान पर उनका पक्ष जानना चाहा था। जिसपर प्रफुल्ल ने जीतन राम मांझी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि पंडितो पर एससी एसटी एक्ट के तहत कार्यवाई होनी चाहिए।

प्रदेश अध्यक्ष व विधायक प्रफुल्ल मांझी ने आगे बताया कि पंडितो द्वारा मांझी के घरो में पूजा कराई जाती है लेकिन उनके हाथ का वह भोजन नहीं खाते है। वह दान के नाम पर धन लेते है। इसलिए पंडितो पर एससी एसटी एक्ट के तहत कार्यवाई किये जाने की जरुरत है।

मांझी ने माफ़ी नहीं मांगी
प्रफुल्ल मांझी ने अपने अध्यक्ष का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने कभी अपने बयान पर माफ़ी नहीं मांगी है। उन्होंने कहा था कि अगर किसी को हमारी बात से ठेस पहुंची है तो हम खेद प्रकट करते है।

पंडितों को कहा था हरामी

बता दें बीते दिनों जीतन राम मांझी ने पटना में भुइयां में आयोजित मुसहर सम्मेलन में हिन्दू धर्म और पंडितों के प्रति नफरत को जाहिर करते हुए बेहद अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था।

उन्होंने कहा था, “आज कल हमारे गरीब तबके में धर्म की परायणता ज्यादा आ रही है। सत्य नारायण पूजा का नाम हम नहीं जानते थे लेकिन ‘साला’ अब हम लोगों के हर टोला में उनकी पूजा हो रही है। पंडित ‘हरामी’ आते हैं और कहते हैं कि हम खाएंगे नहीं, हमको नगद ही दे दीजिए।”

मांझी ने पंडितों के अलावा भगवान श्री राम पर भी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि “मैं राम को भगवान नहीं मानता, वो काल्पनिक है।”

मांझी पर आपत्तिजनक बयान देने पर BJP नेता निष्कासित

वहीं मांझी पर आपत्तिजनक बयान देने के आरोप में बिहार भाजपा ने प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नेता गजेंद्र झा को पार्टी सदस्य निष्कासित कर दिया था।

गजेंद्र झा को जारी एक पत्र में भाजपा ने कहा था कि उनके द्वारा की गई अमर्यादित बयान से पार्टी को आघात हुई है। अतः उनको पार्टी से निष्काषित किया जाता है। जो तत्काल के प्रभाव से लागू होगा। पत्र में गजेंद्र को 15 दिन के अन्दर अपना स्पष्टीकरण जिला कार्यालय को सौपने को कहा गया है।


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