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फडणवीस वाली BJP सरकार ने पलटा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, फिर से मराठा आरक्षण लागू…?

अध्यादेश पारित होने के बाद अनारक्षित छात्रों ने आक्रोश दिखाना शुरू कर दिया व राज्यपाल सी विद्यासागर राव से अध्यादेश पर हस्ताक्षर न करने की मांग की है।

मुंबई: मराठा आरक्षण पर सरकार और सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर आमने सामने आ गयी है। पोस्ट ग्रेजुएशन एडमिशन पर हाई कोर्ट में अनारक्षित वर्ग की ओर फैसला सुनाते हुए दो जजों की पीठ ने इस साल मेडिकल में आरक्षण न लागु करने का फैसला दिया था। जिससे अनारक्षित वर्ग ने राहत की सांस ली थी।

हाई कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण पर रोक लगाए जाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया था जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को झटका देते हुए पीजी मेडिकल में मराठा आरक्षण न लागु करने के हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था।
न्यायपालिका में झटका लगने के बाद मराठाओ की ओर से सरकार को चेतावनी दी गई थी जिसके बाद भाजपा सरकार ने अध्यादेश लाकर फैसला पलटने का मन बना लिया था।

बीते शुक्रवार को सरकार ने विधासभा में मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश पारित कर दिया जिसको सभी पार्टियों ने एक सुर में पास कर दिया।

अध्यादेश पारित होने के बाद अनारक्षित छात्रों ने आक्रोश दिखाना शुरू कर दिया व राज्यपाल सी विद्यासागर राव से अध्यादेश पर हस्ताक्षर न करने की मांग की है।

वही सामाजिक संगठन यूथ फॉर इक्वलिटी ने इसे एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला लिया है।

जिसके बाद सरकार की तरफ से छात्रों से कहा गया है कि जिन्हे एडमिशन नहीं मिल पायेगा उन छात्रों की प्राइवेट कॉलेज की फीस सरकार भरने को तैयार है परन्तु यहाँ छात्र मानने को तैयार नहीं है।

छात्रों का कहना है कि जब सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए उन्होंने मेहनत करी है तो वह प्राइवेट कॉलेज में एड्मिशन क्यों ले?

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