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केंद्र को पास प्रस्ताव भेजे बिना बदल दिए योगी सरकार ने इलाहाबाद और फैज़ाबाद के नाम !

इससे पहले की कांग्रेस सरकार ने भी 2011 में उड़ीसा के नाम बदलकर ओडिशा, 1995 में बम्बई का नाम मुम्बई , 1996 में मद्रास का नाम चेन्नई, और 2001 में कलकत्ता का नाम बदलकर कोलकाता कर दिया गया था।

नई दिल्ली : देश में आजकल शहरों के नाम बदलने का काम जोरों पर है। सरकार पूरी जोर शोर से शहरों के नाम बदलने में लगी गई। पिछले एक वर्ष में लगभग 25 शहरों के नाम अबतक बदले जा चुके हैं। शहरों के नाम बदले जाने पर अलग अलग स्थानों पर जनता की अलग अलग प्रतिक्रिया आ रही। कहीं जनता इसे पारंपरिक पुनर्स्थापना से जोड़कर देख रही है, तो कहीं इसे बेकार का कदम कहा जा रहा है।

लेकिन इन सब के बीच केंद्र सरकार के के कर्मचारियों ने शहरों के नाम बदलने को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। नाम गुप्त रखने के शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के जिन दो शहरों इलाहाबाद और फैजाबाद के नामों को बदलने का ऐलान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने किया है, असल में उसका कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास अब तक आया ही नही है।

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आपको बताते चलें कि शहरों और कस्बों के नाम बदलने की प्रक्रिया आसान नहीं होती, एक शहर के नाम बदलने के लिए फाइलों को कई मंत्रालयों से होकर गुजरना होता है और इसमें कई मंत्रालयों जैसे की रेल मंत्रालय और डाक विभाग से इस बाबत सलाह ली जाती है।

अपने देश में नामों को बदलने का काम कोई नया नहीं है। इससे पहले की कांग्रेस सरकार ने भी 2011 में उड़ीसा के नाम बदलकर ओडिशा, 1995 में बम्बई का नाम मुम्बई , 1996 में मद्रास का नाम चेन्नई, और 2001 में कलकत्ता का नाम बदलकर कोलकाता कर दिया गया था।

अब तक की सभी सरकारें नामों को बदलने के अपने निर्णय को अलग अलग कारणों से जोड़कर तर्कसंगत ठहराती आयी है , लेकिन बड़ा सवाल अब भी ये है की सरकार को पहले गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी , स्वास्थ्य समस्या आदि मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए या फिर शहरों के नाम बदलने पर।

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