नेतागिरी

सवर्ण आरक्षण का विरोध करने वाली राजद को मिले थे मात्र 5 फीसदी सवर्णो के वोट !

2015 विधानसभा में 39 से 61 हुई यादव विधायकों की संख्या जिसमे से 42 अकेले राजद से आते है ।

बिहार(पटना) : गरीबो को आर्थिक आरक्षण पर मुख्यतः सभी विपक्षी पार्टियों ने भाजपा का साथ दिया। यहाँ तक की दलितों के नाम पर राजनीती करने वाली दिग्गज नेता मायावती ने भी खुल कर इसका स्वागत किया परन्तु कुछ गिनी चुनी पार्टिया भी थी जिसने सड़क से लेकर संसद तक इसका विरोध किया था।

उन्ही चंद पार्टियों में से एक थी राजद पार्टी जिसके सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इस समय चारा घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद से जेल में बंद है ।

जेल में बंद होने के कारण इस समय पार्टी की बाग़ डोर उनके पुत्र तेजस्वी यादव के हाथो में है जो सबसे अधिक आग आर्थिक आरक्षण को लेकर उगल रहे है। तो आखिर क्या वहज है की तेजस्वी यादव सवर्णो के इस आरक्षण पर खुल कर विरोध कर रहे है वही दूसरी ओर पार्टिया वोट न कटने के डर से खुले आम इसका श्रेय लेने में लगी हुई है।



जब हमने पिछले व मौजूदा चुनावो में राजद को पड़े सवर्णो के वोटो की गिनती को टटोला तो हमें बेहद ही चौकाने वाले आंकड़े हाथ लगे।

वर्ष 2000 के बिहार चुनाव में पार्टी को 9 फीसदी सवर्णो के वोट मिले थे, वही 2005 के विधानसभा चुनावो में यह घट कर 5 प्रतिशत रह गया था।

वही अभी पिछले लोकसभा चुनावो में सवर्णो के पड़े वोटो की गिनती करे तो राजद को कुल 5 फीसदी वोट सवर्णो के मिले थे।
मौजूदा विधासभा में बात की जाये तो राजद में सवर्ण विधायकों की संख्या मात्र 3 है जिसमे 2 राजपूत व 1 ब्राह्मण जाति से है।

वही राजद में कुल 42 विधायक यादव जाति से व 13 विधायक मुसलमान है जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है की किस प्रकार लालू यादव की पार्टी सिर्फ एक जाति विशेष को लेकर कार्य कर रही है।

तेजस्वी यादव यह भलीभांति जानते है की उन्हें सवर्णो के वोट मिले न मिले पर पिछड़े और अतिपिछड़े से सवर्णो के आरक्षण का विरोध करके अपना वोट बैंक जरूर चमका सकते है।

शायद इसी कारण राजद खुले मुँह इसका जोरदार विरोध कर रही है और इसे आरक्षण को ख़त्म करने की साजिश का शिफूगा बताकर अपना सिक्का बजार में चलाने का प्रयास कर रही है।

इससे सम्बंधित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button