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जानिए UP में किस पार्टी ने दिया है सवर्णो को सबसे ज्यादा चुनावी टिकट

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 36 लोकसभा सीटों पर सवर्ण उम्मीदवार उतारे हैं, जोकि सपा-बसपा के सवर्ण उम्मीदवारों के संख्या से बहुत ज्यादा है ।

लोकसभा के चुनावों के चार चरण बीत गए हैं और अब पांचवे चरण के लिए 06 मई को मतदान होना है। लोकसभा चुनाव में ऐसा हमेशा कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश ही देश का प्रधानमंत्री चुनता है क्योकि उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है जिसने बहुत सारे प्रधानमंत्री दिए हैं।

उत्तर प्रदेश में सवर्ण समुदाय के लोग किसी पार्टी को हराने में या जितने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते है क्योकि यदि हम ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि UP में सवर्ण समुदाय का वोट जिस पार्टी के पक्ष में पड़ता है वही सबसे ज्यादा सीट पाने में सफल होती है।

यही कारण है कि हर पार्टी UP में सवर्णो को भी ध्यान में रखकर टिकट बाटती है।

देखा जाये तो पिछली लोकसभा में सपा ने कुल 20 सवर्णो को टिकट दिए थे परन्तु इस बार यह आंकड़ा मात्र 6 पर सिमट कर रह गया है हालंकि इस बार सपा पार्टी केवल 37 सीटों पर मैदान में उतरी है।



फिर भी सीटों के अनुपात को देखा जाये तो भी यह पिछली लोकसभा से कम ही है। वही गठबंधन में लड़ रही बीएसपी ने सवर्णो को टिकट देने के अपने रवैये में बड़ा दिल दिखाया है कुल 38 सीटों पर मैदान में ताल ठोक रही बसपा ने एक चौथाई सीटों पर सवर्णो को टिकट थमा दी है।

पिछले लोकसभा में बसपा ने कुल 26 सवर्णो को टिकट थमाई थी परन्तु इस बार उसके हिस्से में मात्र 38 ही सीट आई है।

वही बात करे तो अभी तक सवर्णो कि चहीती बन कर उभर रही बीजेपी ने सबसे अधिक सवर्णो को तरजीह दी है। बीजेपी ने पिछली लोकसभा में 36 सवर्णो को टिकट दिया था जो अपने आप में सर्वाधिक था तो पार्टी ने एक बार फिर अपने सवर्ण वोटरों पर भरोसा जताते हुए 36 सवर्ण मैदान में उतारे है जो पार्टी कि किस्मत तय करेंगे।

सबसे ज्यादा टिकट सवर्णो के जिसने काटे है वह है जनेऊधारी ब्राह्मण की पार्टी कांग्रेस। कांग्रेस ने पिछली लोकसभा में कुल 34 सवर्णो को मैदान में उतारा है जबकि अब उसने मात्र 26 सवर्णो पर भरोसा जताया है।

पार्टी 2014 लोकसभा चुनाव 2019 लोकसभा चुनाव
बीजेपी 36 36
बीएसपी 26 10
एसपी 20 06
कांग्रेस 34 26

आपको बता दे की उत्तर प्रदेश में माना जाता है जिस तरफ ब्राह्मणो का वोट गिरता सरकार हमेशा उसकी ही बनती है। यह कारण है की बसपा ने ब्राह्मण का दुबारा दिल जीतने के लिए सबसे अधिक टिकट उन्हें ही थमाए है।

इस लोकसभा चुनाव में भी यही देखने को मिला है कि पार्टियों में सवर्णों को ध्यान में रखकर वोट डाला है।

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