राजस्थानी रण
राजस्थान में तीन दसकों में बसपा प्रभाव छोड़ने में विफल रही !
राजस्थान में 1990 में पहली बार बसपा ने चुनाव लड़ा था लेकिन हाथ खाली रहे थे।बसपा को पहली बार राजस्थान में सफलता 1998 में मिली थी
राजस्थान (जयपुर): राजस्थान के चुनाव में बसपा का दबदबा नहीं रहा लेकिन 1990 में पार्टी की शुरुआत से लेकर अब तक की कहानी बड़ी रोचक रही है।बसपा को राजस्थान में जीत का सवाद तो मिला लेकिन ये सवाद उन्हें अच्छा नहीं लगा क्योकि अपनी ही पार्टी के विद्यायकों से उन्हें धोखा भी साथ ही मिला था।लेकिन बसपा ने राजस्थान में अपना संघर्ष जारी रखा, उसी के परिणाम स्वरूप विधानसभा में उपस्थिति अभी भी बनी हुयी है।
पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने तीन सीटें जीती थीं, लेकिन हत्या के मामले में धौलपुर के विधायक के जेल जाने के बाद अब प्रदेश में बसपा के दो विधायक है।
बसपा ने इस विधानसभा चुनाव में भी सभी 200 सीटों से उमीदवार उतारने की घोषणा की है और 11 सीटों के लिये अपने उमीदवारों की सूचि जारी है। बसपा के लिये खुशि की बात केवल ये रहेगी की उसका वोट 3.81 प्रतिशत से 2003 तक 6.46 हो गया था।
राजस्थान में बसपा के इस संघर्ष को अब तक की सबसे बड़ी सफलता वर्ष 2008 में मिली थी।बसपा के लिये 2008 का चुनाव दो खुशिया लेकर आया था,पहली खुशि तो ये की इस बार बसपा के 6 उम्मीदवार जीते और दूसरी ये की बसपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 7.66 हो गया था।
उस दौरान कांग्रेस को 96 सीटें मिली थी और भाजपा को 78 सीटें मिली थी।सरकार बनाने के लिये कांग्रेस को 100 का आंकड़ा पार करना था,बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए।इसके बाद पिछले विधानसभा चुनावो(2013) में बसपा को 2 सीट पर जीत हासिल हुयीं, लेकिन वोट प्रतिशत घटकर 3.44 रह गया।