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“कांग्रेस के दबाव में सुप्रीम कोर्ट कर रही है काम”- बीजेपी

अर्णव गोस्वामी ने कहा है कि "सुप्रीम कोर्ट को यदि सेक्युलर कोर्ट कहा जाये तो यह गलत नहीं होगा"।

नई दिल्ली :-  लम्बे समय से प्रत्याशित मंदिर पर फैसला टलने से लोग ट्विटर पर जमकर सुप्रीम कोर्ट और मोदी सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और इसी के साथ कांग्रेस को भी आये इस फैसले पर बहुत कोसा जा रहा है।

इस फैसले के बाद बीजेपी के फायरब्रांड नेता विनय कटियार ने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस के दबाव में काम कर रही है वहीँ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि भारतीय संविधान को बचने के लिए अयोध्या मंदिर पर फैसला कम-से-कम 50 साल तक की देरी कर देनी चाहिए।

जबकि दूसरी तरफ कुछ लोग बीजेपी पर अध्यादेश लाने का दबाव बना रहे हैं। वहीँ कुछ लोगों का कहना है कि “सुप्रीम कोर्ट तय करने वाली कौन होती है कि क्या जरूरी है? और क्या नहीं? लोगों ने कहा जब सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला पर शीघ्र सुनवाई कर सकती है तो देश की बहुसंख्यक आबादी की आस्था का सम्मान क्यों नहीं कर सकती है। ”

 

वहीं, अर्णव गोस्वामी ने ट्विटर पर लिखा है कि “सुप्रीम कोर्ट जलीकट्टू, सिंहनापुर, पटाखे और रोहिंग्या पर फैसले लेने में देरी नहीं लगाती है, लेकिन कश्मीरी पंडित और राम मंदिर के फैसले के लिए उसके पास समय नहीं है”। साथ ही अर्णव ने कहा है कि “सुप्रीम कोर्ट को यदि सेक्युलर कोर्ट कहा जाये तो यह गलत नहीं होगा”।

AIMIM के नेता औवेसी ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि ” यदि 56 इंच का सीना है तो सरकार राम मंदिर पर लाये अध्यादेश”।

Information source: neeraj jha

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