उत्तर प्रदेशदुराचार

UP: दलितों ने शिव मूर्ति व शिव लिंग तोड़ फेका, स्थापना करने वाले परिवार पर लगाया Sc-St एक्ट

प्रतापगढ़(उत्तर प्रदेश): जिले के एक गांव में दलितों द्वारा शिवलिंग तोड़े जाने की खबर अब तूल पकड़ने लगी है। घटना जेठवारा थाना क्षेत्र के सरायदेवराय कटरा गुलाब सिंह गांव की है जहां दलित ग्राम प्रधान व अन्य दलितों ने मिलकर एक ब्राह्मण की जमीन मे बने चबूतरे पर स्थित शिव जी की मूर्ति व शिवलिंग को तोड़ कर फेंक दिया व विरोध करने पर घर की महिलाओं के साथ अभद्रता करते हुए मारपीट भी की।

घटना 25 सितंबर 2020 की थी। जिसपर कोर्ट के दखल के बाद मुकदमा हाल ही में दर्ज किया गया है। दरअसल सरायदेवराय कटरा गुलाब सिंह गांव के निवासी यमुना प्रसाद पांडेय पुत्र स्व० देवकीनंदन पांडेय ने अपने घर से 100 मीटर दूर अपनी जमीन पर बने चबूतरे पर भगवान शंकर की प्रतिमा स्थापित करी थी।

जिसके बाद गांव के निवर्तमान दलित ग्राम प्रधान रामसुख सरोज पुत्र नन्हू सरोज,जतन सरोज पुत्र रामहरज सरोज व अन्य दर्जनों लोगों के साथ लाठी-डंडे व असलहे से लैस होकर पहुंचे और चबूतरे पर रखी मूर्ति को तोड़कर चबूतरे को क्षतिग्रस्त कर दिया। जब यमुना के परिवार ने इसका विरोध किया तो दलित प्रधान ने अपने समर्थकों के साथ उन पर हमला भी बोल दिया। बीच बचाव करने पहुंची पीड़ित की भाभी पुष्पा पांडेय पत्नी उमाशंकर पांडेय, भतीजी रुचि पांडेय पुत्री उमाशंकर पांडेय और बेटी प्रिया को भी हमलावरों ने दौड़ाकर मारापीटा व कपड़े फाड़ दिए।

थाना प्रभारी ने किया एफआईआर लिखने से मना, एससी एसटी एक्ट में फसाने की दी धमकी
जब मामले को लेकर पीड़ित तत्कालीन थाना प्रभारी जेठवारा के पास पंहुचा तो उन्होंने एफआईआर लिखने से ही मना कर दिया व पीड़ित को घुमाते रहे कि पहले अपने जमीन की पैमाईश कराओ वरना एससी एसटी एक्ट में फंसा दिए जाओगे।

विधायक और एसपी के कहने के बावजूद उल्टा पीड़ित को ही एससी एसटी एक्ट में फंसाया
जब पीड़ित ने इसकी शिकायत विधायक विश्वनाथ और एसपी साहब से की तो थाना प्रभारी ने दलित पक्ष के साथ मिलकर उल्टा यमुना के खिलाफ ही एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया। जबकि ज़मीन को जब राजस्व विभाग द्वारा पैमाईश कर रिपोर्ट लगाई गई तो वह यमुना पांडेय की ही निकली जिसपर उन्होंने भगवान शिवजी का चबूतरा बनाया हुआ था। ज्ञात होकि शिव जी की प्रतिमा व शिवलिंग खंडित करने व फेकने के पीछे का कारण आरोपियों ने इसे ग्राम समाज की ज़मीन पर होना बताया था।

यमुना प्रसाद एक प्राइवेट गैस कॉन्फिडेंटल कम्पनी आजमगढ़ में एरिया सेल्स मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। घटना वाले दिन घर पे न होने के बावजूद यमुना पर मारपीट के आरोप में एससी एसटी के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया। जबकि घटना के समय वह आजमगढ़ में थे।

पैमाईश मे जमीन यमुना की निकलने के बावजूद मूर्ति को तोड़ा
थाना प्रभारी के आदेश पर पैमाईश करने पर 440 गाटा नंबर मे स्थित शंकर जी की मूर्ति यमुना प्रसाद पाण्डेय के नाम से निकली।उसके बावजूद मूर्ति तोड़कर चबूतरे को क्षतिग्रस्त कर दिया जिसमे थाना प्रभारी मूकदर्शक बने रहे।

राजस्व विभाग द्वारा पैमाईश के बाद लगाई गई रिपोर्ट जिसमे ज़मीन को पीड़ित का बताया गया है

एफआईआर दर्ज कराने के लिए कोर्ट का लिया सहारा
जब आईजीआरएस डालने के बावजूद थाना प्रभारी ने दलित प्रधान और उसके समर्थकों के दबाव में आकर पीड़ित का एफआईआर दर्ज नहीं किया तो उसने कोर्ट का सहारा लिया। फिर 4 जनवरी को कोर्ट के आदेश के तहत 12 जनवरी को पीड़ित की एफआईआर को लिखा गया। जिसका अब खुलासा हुआ है।

मूर्ति तोड़ने और महिलाओं से करी अभद्रता, जान से मारने की धमकी देते है दबंग
फर्जी एससी एसटी एक्ट में फसाये गए यमुना पांडेय अब अभी जमानत कराने के लिए कोर्ट के चक्कर काट रहे है। यमुना बताते है कि दलितों ने जाति विद्वेष व शिव जी की प्रतिमा स्थापित करने के चलते उन्हें झूठे मुक़दमे में फसा दिया है। उनके परिवार के साथ मारपीट भी करी गई थी। घर पर महिलाओ से छेड़छाड़ व गाली गलोच भी करने का प्रयास हुआ था। बावजूद उसके उन्हें अपने आप को जेल जाने से बचाने के दर दर दौड़ना पड़ रहा है।


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