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भूमि पूजन के दिन चंद्रशेखर आज़ाद ने खाई प्रधानमंत्री बनने की कसम, कहा हर कीमत पर पूरा करेंगे

सहरानपुर: जहां देश एक तरफ राम मंदिर भूमि पूजन के जश्न में डूबा हुआ था तो वहीं दूसरी ओर भीम आर्मी चंद्रशेखर आज़ाद से भी रहा नहीं गया। भीम आर्मी मुखिया चंद्रशेखर आज़ाद ने 5 अगस्त के मौके पर प्रधानमंत्री बनने का सपना सजो डाला। उन्हें ट्वीट के माध्यम से इसकी जानकारी दी।

उन्होंने लिखा “भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी आज यानी 5 अगस्त 2020 को बहुजनों को देश का शासक बनाने का संकल्प करती है। हम मान्यवर साहब के ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ के मिशन को साकार करेंगे। यह हम बहुजनों का संकल्प है। हम इसे हर क़ीमत पर पूरा करेंगे। जय भीम।”


आपको बता दें कि चंद्रशेखर के राजनीती में कूदने से सबसे अधिक नुकसान जाति के नाम पर राजनीती करने वाली पार्टियों को होगा। जहां मायावती व चंद्रशेखर का टकराव सबके सामने है तो वहीं यह पार्टी समाजवादी पार्टी, कांग्रेस सहित छोटे दलों को मैदान से बाहर कर सकती है। जिसका एक सीधा फायदा भाजपा को पहुंचेगा।

कांग्रेस के ही दलित नेता उदित राज ने चंद्रशेखर के चुनाव लड़ने पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करी थी। उन्होंने वर्चुअल रैली के माध्यम से अपनी बातो को रखते हुए भीम आर्मी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा अपनी स्वयं की इच्छा पूर्ण करने के लिए यह दलितों का नुक्सान करने पर तुले है।

आज़ाद समाज पार्टी के चुनावी मैदान में आने से इन पार्टियों के वोट आपस में ही बिखर जायेंगे जिसका सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को ही होगा। राज्य के कई राजनीतिक पंडितो का कहना है कि बीजेपी ने ही भीम आर्मी को खड़े होने व राजनीती में उतरने में मदद करी है। ताकि उससे सीधा फायदा उसे राज्य के चुनावो में मिल सके।

वहीं चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री के सपने दिखाने में उनके नेता भी पीछे नहीं है। भीम आर्मी नेता गुलज़ार सिद्दीकी ने एक ट्वीट के माध्यम से अपनी यह इच्छा जाहिर करी। उन्होंने लिखा “मारा उत्सव बहुजनों के राज आने पर होगा। जबदेश के प्रधानमंत्री एडo चन्द्र शेखर आज़ाद भैया बनेगे”।


मध्यप्रदेश के उपचुनावों में उतर सकती है भीम आर्मी
आज़ाद समाज पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने जा रही भीम आर्मी आने वाले एमपी उपचुनावों में उतर सकती है। अब देखना यह होगा कि लगभग 30 सीटों के चुनावो में भीम आर्मी की यह नई पार्टी कितनी सीटों पर अपनी जमानत बचा पाती है।

वहीं इसके बाद बिहार व यूपी चुनावो में पार्टी का उतरना लगभग तय हो गया है।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!

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