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‘Sc/St एक्ट के करीब 50 प्रतिशत केस जांच के दौरान फ़र्जी पाए गए’: पुलिस

जयपुर: राजस्थान पुलिस ने साल 2020 में हुए अपराधों का ब्योरा पेश कर दिया है।

पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते साल एससी/एसटी वर्ग के साथ अत्याचार के 6 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। अनुसूचित जातियाें पर अत्याचार संबंधी मामलाें में करीब 50 प्रतिशत जांच में गलत पाए गए।

अनुसूचित जाति पर अत्याचार संबंधी मामलाें में पुलिस ने करीब 50 प्रतिशत मामले गलत माने हैं। दैनिक भास्कर अखबार द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के जरिए बताया गया है कि 2020 में नवंबर माह तक राजस्थान में अनुसूचित जाति पर अत्याचार के 6545 मामले दर्ज हुए। इनमें से पुलिस ने जांच के बाद 2295 में एफआर लगा दी। साथ ही 1919 मामलों पर पुलिस अनुसंधान कर रही है। हत्या के 73 मामलाें में पुलिस ने सात काे जांच में गलत माना।

इसी तरह से दुष्कर्म के 440 मामलाें में से 148 काे गलत माना। जबकि 109 की जांच की जा रही है। एससी एसटी एक्ट के 117 मामलाें में से 63 मामलाें में पुलिस ने एफआर लगा दी। 27 में पुलिस अभी जांच कर रही है।

इसी तरह से अनुसूचित जनजाति के 1755 मामले दर्ज कराए गए। इनमें से 577 मामले जांच में गलत पाए गए। 643 मामलाें में पुलिस ने आराेप प्रमाणित माने। जबकि 535 में पुलिस अभी तक किसी नतीजे पर हनीं पहुंच सकी है।

2019 में एट्रोसिटी एक्ट के 51% केस फर्जी

2020 की तरह राजस्थान पुलिस के 2019के आपराधिक आंकड़ों के मुताबिक SC/ST के अंतर्गत आधे से अधिक मामले फ़र्जी पाए गए थे। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक एट्रोसिटी एक्ट से संबंधित मामलों की संख्या में भी काफी वृद्धि देखी गई थी।

राजस्थान पुलिस के तत्कालीन DGP भूपेंद्र सिंह द्वारा जारी किए आंकड़ों के अनुसार SC/ST एक्ट के तहत फर्जी मामलों का प्रतिशत भी बढ़ गया था। जिसमें SC के साथ 51 प्रतिशत और ST के साथ 50 प्रतिशत मामले जांच के दौरान फ़र्जी पाए गए थे।


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