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बंदायू गैंग: रेप पीड़िता की जाति दलित नहीं राजपूत थी, भास्कर ने ग्राउंड रिपोर्ट के नाम पर फर्जी खबर चलाई

बदायूं: बदायूं के उघैती थाना क्षेत्र में 3 जनवरी को एक अधेड़ उम्र की महिला से बर्बर गैंगरेप के बाद हत्या के मामले ने सब को हिला कर रख दिया है। पुलिस ने रेप और मर्डर की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। परन्तु मुख्य धारा की मीडिया इस घिनोने कृत्य में भी फर्जी तरीके से अपनी रोटियां सेकने में लग गई है। इसी क्रम में एक प्रचलित अख़बार ने ग्राउंड रिपोर्ट के नाम से पीड़िता की भावनाओं से भी खेलने से परहेज न करते हुए उसे दलित बता डाला व मामला दलित उत्पीड़न से जोड़ दिया। जिसे आज हमने गाँव जाकर पीड़ित परिवार व ग्रामीणों से बात कर ध्वस्त करने का प्रयास किया है।

ग्राउंड रिपोर्ट के नाम पर भास्कर ने चलाई फर्जी खबर, राजपूत महिला को बताया दलित
गाँव में इन्वेस्टीगेशन के नाम पर भास्कर जैसे जाने माने अख़बार ने पीड़ित महिला को दलित बता माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया है। अपनी रिपोर्ट में भास्कर ने लिखा “यहां उघैती इलाके में रविवार को मंदिर में पुजारी ने दो लोगों के साथ एक दलित महिला के साथ गैंगरेप किया। इसके बाद उसकी हत्या कर दी।”

आगे भास्कर ने एक बार फिर महिला को दलित बताने पर जोर देते हुए लिखा कि “बदायूं में उघैती थाने से करीब 2 किलोमीटर दूर मवेली गांव है। गांव के मेन रोड से 50 मीटर दूर वह मंदिर है, जहां रविवार को 45 साल की दलित महिला से गैंगरेप कर उसकी बेहद क्रूर तरीके से हत्या कर दी गई थी।” वहीं महिला जाति से राजपूत समाज से आती थी। जोकि तांत्रिक के पास तंत्र मंत्र के लिए आती जाती थी।

साथ ही भास्कर ने पत्रकारिता के नाम पर अपनी रिपोर्ट की खिल्लिया उड़ाते हुए इस मंदिर में दलितों के आने जाने पर मनाही की बाते कही थी। जब हमने गाँव के प्रधान से बात करी तो उन्होंने इस तर्क से इंकार करते हुए बताया कि मंदिर में सभी समाज के लोग आते जाते है। दलितों के आने जाने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है। प्रधान खुद अति पिछड़े समाज से आते है व उन्होंने भास्कर के इस तथ्य को पूर्णतः नकार दिया। साथ ही गाँव के दलित परिवारों ने भी भास्कर के इस तथ्य को फर्जी करार देते हुए ऐसे किसी भी प्रतिबन्ध से साफ़ मना कर दिया।

भास्कर की इस रिपोर्ट में यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि पीड़िता दलित थी व दलितों का प्रवेश मंदिर में निषेध था। परन्तु गैंग रेप करने के लिए उस दलित महिला को मंदिर में बुला रेप किया गया था। जोकि हमारी जांच में पूर्णतः फर्जी पाया गया है।

क्या हुआ था घटना के दिन
दरअसल पीड़ित महिला का मायका भी उसी गांव में है। जहां वह प्रत्येक रविवार को अपनी मां से मिलने जाया करती थी। इस रविवार को भी वह अपनी मां से मिलने के लिए निकली थी। मगर वह मां के पास जाने के बजाए सीधे मंदिर के तांत्रिक सत्य पाल के पास चली गई। जहां दरिंदों ने उसे अपनी हवस का शिकार बना कर उसकी बर्बर तरीके से हत्या कर दी।

पति की मानसिक स्थिति है खराब
पीड़िता की शादी कम उम्र में ही कर दी गई थी। शादी के बाद पता चला था कि पीड़िता के पति की मानसिक स्थिति खराब है। पीड़िता कुछ पढ़ी लिखी थी इसलिए आंगनबाड़ी सहायिका के रूप में कार्य करने लगी। जिससे उसके परिवार का पालन पोषण होने लगा था। पीड़िता अपने पति की मानसिक स्थिति के इलाज के लिए तांत्रिक सत्य पाल के पास मंदिर जाया करती थी।

दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है पीड़िता की मां
दरअसल पीड़िता की मां कम उम्र में विधवा हो गई थी। उनकी 4 बेटियां थी, जिनका विवाह जस तस तरीके से कर दिया था। कहने को तो राजपूत हैं लेकिन, बूढ़ी मां को दो रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। पीड़िता अपनी मां के पास प्रत्येक रविवार को जाया करती थी। जाकर कुछ सहायता भी कर देती थी जिससे मां को दो वक्त की रोटी नसीब हो जाती थी।

बुढ़ापे में मजदूरी कर घर पालने वाली मां की हालत इतनी खस्ता है कि घर पर लेंटरनहीं है। बरसात में पानी टपकता है। घर में बिजली का बल्ब नहीं है, दिए के सहारे बूढ़ी मां के जिंदगी के बचे खुचे दिन गुजर रहे हैं।

आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही थी पीड़िता
पीड़िता आंगनबाड़ी सहायिका के पति की मानसिक स्थिति खराब होने के कारण वह आर्थिक संकट से गुजर रही थी। उसके सिर पर दो परिवार का बोझ था। सहायिका के तौर पर मिलने वाले पैसों से वो सबका भरण पोषण कर रही थी।

सस्पेंड किए गए दरोगा
मामले में लापरवाही बरतने के कारण थाना प्रभारी राघवेंद्र प्रताप सिंह को सस्पेंड कर, इंस्पेक्टर देवेंद्र कुमार को चार्ज दिया गया है। पूरे मामले को लेकर शासन प्रशासन सख्त है। अब तक सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। आगे की कार्यवाही जारी है।


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