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जय भीम-जय मीम: अजा एक्ट में दलित महिला उत्पीड़न आरोपी बाहुबली नेता मो गाज़ी को भीम आर्मी ने प्रदेश प्रभारी बनाया

लखनऊ: बिजनौर जिले के बढ़ापुर विधानसभा से बसपा की टिकट पर विधायक रह चुके भीम आर्मी नेता मोहम्मद गाज़ी को आज़ाद समाज पार्टी ने लखनऊ, सहारनपुर व मुरादाबाद मंडल का प्रभारी नियुक्त किया है।

यह नियुक्ति भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद के एक आदेश के बाद की गयी है। उन्होंने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि उन्हें बहुत उम्मीद है कि मोहम्मद गाज़ी बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय के लिए प्रदेश में दलितों के उत्थान के लिए कार्य करेंगे। उन्हें यह जिम्मेदारी प्रदेश में दो साल बाद आने वाले चुनावो को देखते हुए दी गई है।

वहीं बाहुबली विधायक रहे मोहम्मद गाज़ी पर खुद कई आपराधिक मामले दर्ज है। जिनमे से एक मामले में मोहम्मद गाज़ी पर दलित महिला के उत्पीड़न के आरोपों में एससी एसटी एक्ट भी दर्ज है। वहीं कई मामलो में गरीबो की कई बीघा जमीन हड़पने का भी आरोप पूर्व विधायक पर लगता आया है।

जिसके बाद मोहम्मद गाज़ी जैसे बाहुबली जो दलित उत्पीड़न में खुद दस हाथ आगे रहता हो उसको इतना बड़ा दायित्त्व सौपने पर पार्टी के अंदर खाने ही आवाजे उठने लगी है। ऐसे ही एक भीम आर्मी के बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चंद्रशेखर के आस पास मौका परास्त लोग जुट चुके है जिन्हे दलितों के अधिकारों के बजाये ट्विटर पर ब्लू टिक व दलाली करने में अधिक रूचि है।

वहीं आगे इस नेता ने बताया कि संगठन की बढ़ती महत्वकांक्षा दलितों को ले डूबेगी। यह कदम सिर्फ यूपी में दलितों को राजनीती से दूर करने का एक कदम भर है। इससे सबसे अधिक नुक्सान मायावती व अखिलेश यादव को पहुंचेगा जिसके कारण भाजपा अधिक सीटों से फिर सरकार बना लेगी।”

आपको बता दे कि एससी एसटी एक्ट मामले में मंडावली थाना क्षेत्र के गांव राहतपुर निवासी सरोज देवी पत्नी गूटी उर्फ हरि सिंह ने बढ़ापुर विधान सभा क्षेत्र के पूर्व विधायक शेरकोट निवासी मोहम्मद गाजी के खिलाफ काफी समय से एक बीघा जमीन पर कब्जा करने की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

दलित महिला का आरोप है कि उसकी खसरा नंबर 23 की कृषि भूमि पर चार मीनार स्टोन क्रेशर स्वामी मो. गाजी और उसके दो भाइयों मो. कमाल और मो. दानिश द्वारा वर्ष 2011 से अवैध कब्जा किया हुआ है।

साथ ही महिला ने आरोप लगाया कि जमीन को कब्जामुक्त कराने की मांग पर पूर्व विधायक और उसके भाइयों ने उससे जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी दी तथा जमीन को कब्जामुक्त करने के लिए दस लाख रुपये की मांग की है।

जान से मारने की धमकी के बाद से महिला डरी हुई है जिसके बाद उसने प्रसाशन से गुहार लगाई है।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!

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