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महाराष्ट्र में भी सरकारी मदरसों को बंद करने की उठी मांग, CM को लिखा पत्र

मुंबई: असम में सरकारी मदरसा बंद करने की घोषणा के बाद से पूरे देश में मदरसा शिक्षा पर बहस शुरू हो गई है। अब इसी कड़ी में महाराष्ट्र सरकार में विपक्षी दल भाजपा के विधायक ने उठाया है।

दरअसल भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर राज्य में असम राज्य की तरह मदरसा शिक्षा पर नियंत्रण की माँग की है।

इस मसले पर एक बयान में भाजपा विधायक अतुल ने कहा है कि “मैंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है कि वे महाराष्ट्र में राज्य सरकार द्वारा संचालित मदरसों पर अंकुश लगाने के असम सरकार के फैसले का अनुकरण करें ताकि मुस्लिम समुदाय के छात्रों को आधुनिक शिक्षा मिल सके।”

शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ने किया समर्थन:

वहीं दूसरी ओर असम सरकार के मदरसा वाले फैसले का शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन रहे वसीम रिजवी ने भी समर्थन किया है। रिजवी ने एक इंटरव्यू मे कहा है कि “जब तक सब धर्म के बच्चे एक साथ बैठकर नहीं पढ़ेंगे तब तक कट्टरपंथी मानसिकता, इस्लाम के गलत प्रचार और दूसरे धर्मों से नफरत खत्म नहीं होगी।”

स्कूलों में बदले जाएं मदरसे:

रिजवी ने आगे माँग करते हुए कहा कि मदरसे पूरी तरह से बंद होने चाहिए और उन्हें स्कूलों में कन्वर्ट कर देना चाहिए। हर धर्म का सम्मान होना चाहिए। रिजवी ने सवाल उठाया कि “मदरसों के सिलेबस दुकानों पर क्यों नहीं मिलते? एक धर्म के लोगों को ये लोग क्या पढ़ाते हैं? क्यों ऐसा करते हैं?”

आतंकियों का लग रहा है पैसा: रिजवी

पूर्व चेयरमैन ने कहा कि “इन मदरसों में आतंकियों का पैसा लग रहा है। उन कट्टरपंथी मुल्कों का पैसा लग रहा है जो इन आतंकी संगठनों को चलाते हैं। उन्होंने कहा कि “हिंदुस्तान में लोगों को जब ये पढ़ाएंगे कि सिर्फ तुम अल्लाह के नेक बंदे हो और तुम्हारे अलावा कोई सही नहीं है। जितने धर्म अल्लाह को नहीं मानते हैं, इस्लाम को नहीं मानते हैं, वो काफिर हैं। उनसे जिहाद करो। उनको मार दो। अगर बच्चों को ये एकतरफा पढ़ाया जाएगा, तो आप बताइए, बच्चा बड़ा होकर क्या बनेगा?”

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