नेतागिरी

दलित राजनीति में पड़ी फूट, उदितराज बोले ‘BSP का दलितों को धोखा देना शर्मनाक’

दलित राजनीति में दिख रही है वर्चस्व की लड़ाई; भीम आर्मी, बसपा और कांग्रेस में दलित नेता एक दूसरे के ख़िलाफ़ दे रहे हैं बयान

नईदिल्ली : देश में दलित नेताओं में आपस में ही फूट दिखने लगी है समाज के चिंतक एक दूसरे को खुद समाज के साथ धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं |

देश में 23 मई को 2019 लोकसभा चुनाव के परिणाम आए जिसमें देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस सहित सभी छोटे बड़े दलों को जनता नें जाति धर्म की राजनीति से कहीं ऊपर मूलभूत आवश्कताओं की पूर्ति के लिए BJP समर्थित NDA को चुना |

इधर बहुजनों, पिछड़े तबकों की राजनीति करने वाली मायावती और उनकी पार्टी बसपा नें इस चुनाव के लिए सपा के साथ गठबंधन किया लेकिन चुनाव खत्म होने के 10 दिनों में ही गठबंधन को तोड़ना पड़ा इसी बीच मायावती नें यह भी कहा कि “सपा के यादव वोटर बसपा की ओर ट्रांसफर नहीं हुए |”

वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव नें कहा “गठबंधन महज एक प्रयोग था जोकि असफ़ल रहा” |

इन बयानों से साफ़ पता चलता है कि दलित, बहुजन, पिछड़े समाजों की राजनीति में सब एक दूसरे पर समाज की उपेक्षा का आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं |

वहीं भीम आर्मी चीफ़ और मायावती में तल्ख़ बयानबाजी हमेशा ही खबरों में रही है | मायावती नें भीम आर्मी चीफ़ को भाजपा का एजेंट भी कह डाला और उनके ख़िलाफ़ पोल खोल अभियान चलाने की घोषणा भी कर चुकी हैं |

वहीं देश में दलित राजनीति करने वाले कांग्रेस नेता उदितराज नें बसपा पर समाज की उपेक्षा करने का गंभीर आरोप लगाया है और इसके अलावा बसपा को बायकाट करने के लिए ट्विटर में ट्रेंड भी चालू कर दिया है | उन्होंने 7 मई 2019 को एक ट्वीट में कहा कि “बसपा ने जो धोखा दलित समाज को दिया है वह शर्मनाक है,दलितों को कांग्रेस में वापस आ जाना चाहिए तभी उनका सम्मान और हक बच पाएगा। #BycottBSP “

इसके पहले भी यूपी में सपा के साथ गठबंधन तोड़ने पर उदितराज नें मायावती की बसपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि “बीएसपी को 2014 में एक सीट नहीं मिली और सपा को 6मिली थी और कहना की सपा का वोट नहीं मिला तो कैसे 10 सीटें मिली और बहुजन एकता तोड़ दिया अब दलितों को BSP का साथ छोड़कर कांग्रेस में आ जाना चाहिए अगर संविधान -अधिकार बचाना है। BSP समाज जागृति तक रहे ना की राजनीति ।”

 

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