OTT नियंत्रण की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट का नोटिस जारी, हिंदू विरोधी वेबसीरीजों के बाद उठी थी माँग
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक स्वायत्त संस्था द्वारा नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिए एक जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर उसकी प्रतिक्रिया मांगी है।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने केंद्र सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किए। शीर्ष अदालत ने शशांक शेखर झा और अपूर्वा अरहतिया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि विभिन्न ओटीटी / स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामग्री की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित बोर्ड / संस्था / संघ की मांग पर सुनवाई करते हुए हम नोटिस जारी करेंगे।
ज्ञात हो कि पाताललोक जैसी कई वेब सीरीजों पर कई संगठनों ने हिंदू विरोधी बताकर ऐसी सामग्री को नियंत्रित करने की माँग पहले भी उठाई गई थी। अब ताजा मामला के संबंध में याचिकाकर्ता शशांक शेखर झा ने बयान में कहा कि “भारत के लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को ध्यान में रखे बिना ओटीटी प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिए स्वायत्त निकाय और उनकी सामग्री के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एड अपूर्वा अरहतिया और मैंने जनहित याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने हमारी याचिका स्वीकार कर ली और नोटिस जारी किया।”
क्या है ये याचिका:
दायर याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में, डिजिटल सामग्रियों की निगरानी और प्रबंधन के लिए डिजिटल सामग्री को नियंत्रित करने वाला कोई कानून या स्वायत्त निकाय नहीं है, और इसे बिना किसी फ़िल्टर या स्क्रीनिंग के बड़े पैमाने पर जनता के लिए उपलब्ध कराया जाता है।
याचिका में कहा गया है कि अभी भी संबंधित सरकारी विभागों ने इन ओटीटी / स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को नियमित करने के लिए कुछ खास नहीं किया है। नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, ज़ी 5 और हॉटस्टार सहित ओटीटी / स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों में से किसी ने भी फरवरी 2020 से सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए स्व-नियमन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
IT मंत्रालय ने भी नियमन को बताया था जरूरी:
मंत्रालय ने पहले एक अलग मामले में शीर्ष अदालत को बताया था कि डिजिटल मीडिया को विनियमित करने की आवश्यकता है और अदालत मीडिया में अभद्र भाषा के नियमन के संबंध में दिशानिर्देश देने से पहले सबसे पहले व्यक्तियों की एक समिति नियुक्त कर सकती है।