राजस्थानी रण

अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोले राजस्थान के राज्यपाल- ‘ब्राह्मण समाज भर नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति है’

जयपुर: शनिवार को विश्व ब्राह्मण महासंघ कनाडा द्वारा राजपूत एसोसिएशन ऑफ नाॅर्थ अमेरिका और राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नाॅर्थ अमेरिका के सहयोग से “21वीं सदी के विश्व में धार्मिक मूल्य” विषय पर एक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। 

इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

राज्यपाल ने धर्म की व्यापकता के बारे में बोलते हुए कहा “धर्म का सम्बन्ध केवल मंदिर, मस्जिद से नहीं है। उपासना, व्यक्ति–धर्म का एक अंग हो सकती है, किन्तु धर्म व्यापक शब्द है। जिन नियमों से, व्यवस्था से और जिस आदर्श आचारसंहिता से सृष्टि निरन्तर चलती है, वही धर्म है। कोई भी धर्म भाषा, मजहब, क्षेत्र के आधार पर भेद नहीं सिखाता।”

“धर्म और उससे जुड़े मूल्य कभी भी अप्रासंगिक नहीं हो सकते क्योंकि इनमें जीवन से जुड़ी नैतिकता का समावेश होता है। मुनष्य की बेहतरी के लिए जो भी मानवीय कर्म किया जाए, वही धर्म है। धर्म सार्वभौम है, इसलिए वह कभी जड़ नहीं हो सकता। धर्म का अर्थ ही मानवता है।”

इसके बाद राज्यपाल ने ब्राह्मण समाज व इसके योगदान पर बोलते हुए कहा “ब्राह्मण समाज भर नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति है। ब्राह्मणों ने विश्वभर में सदा ही मनुष्यता का पाठ पढ़ाते हुए जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान की है। धार्मिक मूल्यों की उपादेयता की सीख किसी ने समाज को दी है तो वह ब्राह्मण है।”

उन्होंने ब्राह्मण व अंतर्निहित गुणों पर कहा “ब्राह्मण शब्द का अर्थ बहुत व्यापक है। वही ब्राह्मण नहीं है जो अपने आपको ब्राह्मण कहता है, वह सभी ब्राह्मण है जो उससे जुड़े कर्म करते हैं। ब्राह्मण वह है जो मन, कर्म और वचन से सभी के प्रति सद्भावी और सहिष्णु होता है। धर्म से जुड़े मूल्यों का प्रसार करता है।”

अंत में उन्होंने ये भी कहा कि इस 21वीं सदी में भी धार्मिक मूल्यों की जरूरत इसलिए है कि धर्म ही जीवन को उत्कृष्टा की राह पर ले जाने के लिए प्रेरित करता है। धर्म का उद्देश्य मनुष्य को आत्मोन्नति की राह दिखाना है। उदात्त जीवन मूल्यों, दूसरों के लिए त्याग करने की भावना के लिए प्रेरित करना है।

इससे सम्बंधित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button