ऋग्वेद

‘हेलो दीदी नहीं’, ‘नमोनमः भगिनी’ बोलने वाला MP का संस्कृत ग्राम, 60% आबादी बोलती है संस्कृत

राजगढ़: मध्यप्रदेश राज्य के राजगढ़ जिले का झिरी गाँव आज के वर्तमान युग और नये भारत में प्रचीनतम भाषा, संस्कृत के नाम से जाना जाता है जो संस्कृत गाँव के नाम से प्रसिद्ध है।

गाँव की विशेषता है कि यहां के सभी बडे़ बूढ़े, गाँव की सभी महिलाएँ, पुरुष और बच्चे आज भी गाँव में संस्कृत में बात करते हैं और आम बोलचाल यहाँ संस्कृत में ही होता है। देखा जाये तो कर्नाटक के शिमोगा जिले में स्थित मुत्तूर ग्राम का नाम झिरी से पहले आता है क्योंकि मुत्तूर की 80 फीसदी आबादी ब्राह्मणों की है जिन्हें संस्कृत विरासत में मिली है। लेकिन अलग नजरिये से देखा जाये तो झिरी में सिर्फ एक ब्राह्मण परिवार रहता है। यहां रहने वाले ज्यादातर लोग क्षत्रिय और अनुसूचित जनजाति के हैं। इसके बावजूद यहां के 60 फीसदी लोग संस्कृत में बात करते हैं।

झिरी गाँव में इस गांव में लगभग एक हजार लोगों की आबादी है। गांव की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां रहने लोगों में से करीबन छ: सौ लोग संस्कृत बोलते हैं। सभी महिलाएँ, पुरूष और बच्चे, सभी संस्कृत में बात करते हैं झिरी गाँव के बच्चे आज के नये युग की तरह हाय हैलो या गुड मॉर्निंग नहीं करते। वो संस्कृत में नमोनम: करके दिन की शुरुआत करते हैं और अपने से बडे़ और छोटों को भी नमोः नम: करके अभिवादन करते हैं।

Jhiri Village (PC: Patrika)

गाँव के सभी सदस्यों की दिनचर्या में संस्कृत इस तरह समा गई है कि वह सभी आम बोलचाल भी संस्कृत में करते हैं। और वहां की महिलाएँ कोई भी धार्मिक कार्य हो या किसी भी तरह का मांगलिक कार्य हो सभी कुछ संस्कृत में होता है। और इसके साथ ही कुछ भी काम हो किसी से फोन पर बात हो किसी भी विषय पर बात हो सब कुछ संस्कृत में होता है। सिर्फ इतना ही नहीं, आपको गांव के लगभग पचास प्रतिशत घरों के प्रवेश द्वारों पर संस्कृत गृहम लिखा दिखाई देगा। संस्कृत गाँव के बारे में जनरल नॉलेज (GK) में भी प्रश्न पूछे जा चुके हैं।

इस वर्तमान समय में भी हमारी प्रचीनतम भाषा संस्कृत को इतना महत्व दिया जा रहा है जो कि एक अद्भुत अनुभूति हैं। संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के साथ ऐसा प्रतीत होता है कि हमे अपनी संस्कृति से काफी लगाव है जो कि वैदिक काल या वैदिक सभ्यता में देखने को मिलता था।

Houses in Jhiri
संस्कृत की शुरुआत कैसे हुई:

संस्कृत गाँव की कहानी शुरू हुई करीब एक दशक पहले, जब यहां के लोगों ने संस्कृत ग्राम का सपना देखा। उस वक्त यहां एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जिसे संस्कृत भाषा का ज्ञान रहा हो। अपने संस्कृत ग्राम का सपना पूरा करने के लिए गांव के बड़े बुज़र्गों ने एक बैठक बुलाई। इस बैठक में एक आरएसएस के संगठन संस्कृत भारती नाम की संस्था से संपर्क किया गया। इस बीच इस संस्था के कार्यालय के एक स्वयंसेवी की मुलाकात विमला पन्ना नाम की एक ऐसी युवती से हुई जिसे संस्कृत पढ़ाने में इतनी रूचि थी जिसके लिए उन्हें कहीं भी जाना स्वीकार्य था।

विमला ने संस्कृत भाषा के माध्यम से गांव का संस्कार ही नहीं रहन सहन भी बदल दिया। जहां पहले उस गांव में लड़कियों के बाहर निकलने पर पाबंदी थी, वहीं आज वहां की लड़कियां पूरी आजादी के साथ गांव में रहती हैं। और जहाँ भी जाती है या जहाँ भी इनकी शादी होती वहां भी संस्कृत को बढ़ावा देने में लग जाती है सिर्फ इतना ही नहीं, संस्कृत भाषा सीखने में महिलाओं की रुचि भी बढ़ी हैं इस गांव की नई पीढ़ी ज्यादातार संस्कृत में ही बात करती है।

संस्कृत भारती संस्था:

संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित संस्था है। संस्कृत भारती संस्था देश भर में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है और अलग अलग तरह से संस्कृत के कार्यक्रम आयोजित करती है। इस संस्था का सपना है कि हमारी प्रचीनतम भाषा संस्कृत का हर जगह उदय हो और सभी लोग हमारी इस संस्कृत साहित्य और इसके महत्व को समझ सकें। और हमारी प्रचीनतम भाषा संस्कृत के महत्व को समझे और झिरी (संस्कृत) गाँव के तरह संस्कृत को प्रचलन में आ सकें।

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