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विश्व के बढ़ी आयुर्वेद की लोकप्रियता, 16 देशों में आयुर्वेद को मिली चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता

नई दिल्ली: सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि आयुर्वेद और योग की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी बढ़ गई है।

30 जुलाई को लोकसभा में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए माननीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने जानकारी दी कि आयुर्वेद और योग की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी बढ़ गई है और आयुष पद्धतियों की लोकप्रियता भी लगातार बढ़ रही है। 

अब विश्व के अनेक देश उनकी आवश्यकता और उनके महत्व को समझ रहे हैं। इसके साथ ही आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने यह भी बताया कि विश्व के किन देशों में कौन सी आयुष पद्धतियों को मान्यता प्राप्त है।

विश्व में आयुष विद्या की बढ़ती लोकप्रियता आयुर्वेद को नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, सऊदी अरब, बहरीन, मलेशिया, मॉरीशस, हंगरी, सर्बिया, तंजानिया, स्विटजरलैंड, क्यूबा और ब्राजील में चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है। रोमानिया, हंगरी, लातविया, सर्बिया और स्लोवेनिया यूरोपीय संघ (ईयू) के 5 ऐसे देश हैं, जहां आयुर्वेदिक अभ्यासों को विनियमित किया गया है।

आयुष उत्पादों को 100 से अधिक देशों में या तो चिकित्सा के रूप में या खाद्य प्रतिपूरक के रूप में निर्यात किया जा रहा है।

सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि विश्व में आयुष विद्या की बढ़ती लोकप्रियता यूनानी पद्धति को बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, पाकिस्तान, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात और तंजानिया में मान्यता प्राप्त है। सिद्ध पद्धति को श्रीलंका और मलेशिया में मान्यता प्राप्त है और सोवा रिग्पा पद्धति को भूटान और मंगोलिया में मान्यता प्राप्त है।

होम्योपैथी पद्धति को श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, रूस और तंजानिया में मान्यता प्राप्त है। यह घाना, चिली, कोलंबिया, रोमानिया, तुर्की, ओंटारियो (कनाडा) में भलीभांति विनियमित है और ब्रिटेन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में शामिल है।

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