लावण्या केस: धर्मांतरण विरोधी कानून की मांग करते हुए भाजपा ने स्टालिन सरकार को बताया ‘हिंदू विरोधी’
मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा सोमवार को तमिलनाडु के माइकलपट्टी गांव की 17 वर्षीय लड़की की मौत की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के तुरंत बाद, भाजपा ने राज्य में ‘जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून’ की मांग की और एमके स्टालिन सरकार पर एक “हिंदू विरोधी” एजेंडे पर काम करने का आरोप लगाया।
निओ पोलीटिक व एफडी से बात करते हुए डॉ कौशल कांत मिश्रा, भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि, “हम मांग करते हैं कि उनके परिवार को अनुग्रह राशि और एक सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए तथा सरकार को राज्य में तुरंत धर्मांतरण विरोधी कानून बनाना चाहिए।”
कौशल कांत ने उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह साबित करता है कि मामले पर उनकी पार्टी का रुख सही था।
“लावण्या मामले में आज मद्रास हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि जांच सीबीआई से कराई जाएगी। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। वहीँ इस पूरे मामले में बेटी के परिवार को न्याय दिलाने की बजाय स्टालिन सरकार और राज्य पुलिस दोनों अपराधियों के साथ खड़े हैं।”
भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि राज्य पुलिस ने FIR में मृतक के कथित वीडियो को “मृतक घोषणा” के रूप में शामिल नहीं किया, जिसमें उसने कहा कि वह आत्महत्या कर रही थी क्योंकि उसका जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा था।
उन्होंने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि “पुलिस इस वीडियो को शूट करने वाले को परेशान कर रही थी। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि डीएमके सरकार हो या कांग्रेस सरकार, उनके पास हिंदू विरोधी एजेंडा है। यही कारण है कि वे लावण्या को न्याय की लड़ाई में बाधा डालने की कोशिश कर रहे थे।”
मामले में मुख्यमंत्री की ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि मृतक ने राज्य सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोला, फिर भी स्टालिन चुप है। क्यूँ ? क्या लावण्या उनके राज्य के अंतर्गत नहीं आती?
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री इस मामले पर क्यों नहीं बोल रहे हैं? क्या हिन्दुओं के जीवन का कोई मूल्य नहीं था? न हि लावण्या और न उनके परिवारजनों ने सरकार के खिलाफ कुछ कहा, फिर भी वह इस मामले पर कुछ नहीं बोल रहे हैं।”
इससे पहले आज, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की एक टीम ने जिले में एक नाबालिग लड़की की आत्महत्या की मौत की जांच के लिए तंजावुर का दौरा किया। इससे पहले शुक्रवार को बेदाग दिल की सोसायटी ने तंजावुर की लड़की आत्महत्या मामले में शुक्रवार को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनके और संस्थानों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को दूर करने के लिए ही याचिका दायर की गई है, न कि किसी को खराब रोशनी में दिखाने के लिए। सोसाइटी इमैक्युलेट हार्ट ऑफ मैरी वही संस्था है जिसके तहत वह स्कूल आता है जहां लावण्या पढ़ाई कर रही थी।