नांगल कांड में स्टेज से बोली जा रही है ब्राह्मण व हिन्दू विरोधी बाते, ब्रह्मा व सरवती का दिया जा रहा उदाहरण
नई दिल्ली: दिल्ली कैंट के नांगल गाँव में 9 वर्ष की बच्ची को न्याय दिलाने के नाम पर हिन्दू विरोधी गतिविधि व ब्राह्मणो के खिलाफ चलने वाली राजनीति अपने चरम पर पहुंच गई है। सीताराम द्वार के सामने लगाए गए धरना स्थल पर पहुंची हमारी टीम इस बहुचर्चित मामले पर जानकारी लेने गई थी लेकिन वहां की स्थिति सच्चाई से कोसो दूर नजर आई।
बच्ची के नाम से लगाए गए धरना स्थल पर दो दलित संगठन आपस में लड़ते नजर आये तो वहीं लगाए गए स्टेज से हिन्दू विरोधी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा था। मौजूद लोगो ने हमें बताया कि ब्राह्मण विरोध से लेकर हिन्दू धर्म पर टिप्पणियों से पुरे आंदोलन की आत्मा को मार दिया गया।
इसी बीच स्टेज पर भाषण देने पहुंचे बौद्ध भिक्षु सुमेधा ने बच्ची को न्याय दिलाने की जगह धर्म पर अपनी टिप्पणियां करनी शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि अब वो ज़माना चला गया जब शास्त्रों में लिखा था कि ब्रह्मा ने अपनी पुत्री के साथ क्या किया अब ब्रह्मा और सरस्वती को मानने वाला कोई नहीं है”।
भीम आर्मी व स्थानीय दलित नेताओ में आई मारपीट की नौबत
पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुके इस प्रदर्शन में भीम आर्मी व स्थानीय नेताओ की लड़ाई चर्चा का मुद्दा बनी रही। चंद्रशेखर आज़ाद को पहले पार्टी का नाम लेने व स्टेज पर चढ़ने से रोक दिया गया। जिसके बाद भीम आर्मी व स्थानीय दलित नेताओ में झड़प हो गई। बात नकली व असली वाल्मीकि तक जा पहुंची। जिसके बाद मारपीट की नौबत तक आ गई। दलित नेताओ ने यहाँ तक कहा कि अगर यह लड़की के न्याय का प्रदर्शन नहीं होता तो भीम आर्मी के नेता आज बच कर नहीं जा पाते।
जय वाल्मीकि नारे को लेकर बनी तनातनी
जहां भीम आर्मी ‘जय भीम’ का नारा लगा रही थी तो वहीं स्थानीय दलित नेता ‘जय वाल्मीकि’ के नारे को बुलंद करने में लगे रहे। जिसके बाद स्टेज से बार बार माइक पर घोषणा की गई कि आपस में मत लड़ो।
लड़की को न्याय दिलाने निकले युवा सिर्फ अपना नाम चमकाने को लेकर ही दिन भर उलझते रहे। इसी बीच गहमागहमी के कारण चंद्रशेखर को बिना स्टेज पर चढ़े व भाषण दिए लौटना पड़ा।
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