उत्तर प्रदेश

दलित संगठन की याचिका पर हाई कोर्ट ने 18 OBC जातियों का SC स्टेटस किया रद्द

लखनऊ- उत्तरप्रदेश में वर्तमान योगी सरकार और पूर्व में अखिलेश सरकार द्वारा जारी सभी अधिसूचनाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया गया है, जिसके अनुसार ओबीसी की एक दर्जन से अधिक जातियों को एससी में शामिल करने फैसला लिया गया था।

हाईकोर्ट का प्रदेश सरकार को झटका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते दिन बुधवार को प्रदेश सरकार को बड़ा झटका देते हुए ओबीसी की 18 जातियों को एससी में शामिल करने के मामले में वर्तमान सरकार और पूर्व में अन्य सरकारों द्वारा जारी सभी अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में डॉ. भीमराव अंबेडकर ग्रंथालय एवं जन कल्याण संस्था गोरखपुर द्वारा दायर याचिका और अन्य जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने कहा कि संविधान में केन्द्र और राज्य सरकारों को फैसला लेने का अधिकार नहीं दिया गया हैं।

दरअसल इस संबंध में योगी सरकार द्वारा 2019 में एक और पूर्व में अखिलेश सरकार द्वारा इस संबंध में दो अधिसूचनाएं जारी की गई थी। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दायर सभी याचिकाओं को मंजूर करते हुए 18 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने वाली जारी सभी अधिसूचनाओं को निरस्त कर दिया हैं।

सियासी फायदे के लिए उठाया जा रहा कदम

हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकारों के कामकाज पर भी टिप्पणी करते हुए नाराजगी जताई है, कोर्ट का कहना है कि यह फैसला करने का अधिकार केवल देश की संसद के पास होता है, लेकिन इसके बावजूद यूपी में सियासी लाभ के लिए फेरबदल किया जाता रहा हैं।

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