बिना जाँच नहीं हो सकती एससी एसटी एक्ट में गिरफ़्तारी, अवमानना करने पर लगेगा कोर्ट ऑफ़ कंटेम्प्ट
जयपुर: एससी एसटी एक्ट में फैली कुछ भ्रांतियों पर राजस्थान हाई कोर्ट में एससी एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तार करने के लिए निकाले गए सर्कुलर पर एक अहम बात सामने आई है।
जाति वैमनस्ता से ग्रसित राजस्थान के एडीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा ने एक सर्कुलर जारी कर एससी एसटी एक्ट में तुरंत गुरफ्तारी का आदेश दे दिया था। जिससे प्रदेश में हड़कंप सा मच गया। वहीं समता आंदोलन के मुखिया श्री पराशर नारायण शर्मा जी ने इसे आगे आकर हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
दरअसल पराशर शर्मा ने बताया कि एससी एसटी के किसी भी प्रावधान में यह कही नहीं लिखा है कि तुरंत गिरफ्तारी की जाए। एससी एसटी एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक बिना जांच के FIR करने का प्रावधान जरूर है लेकिन बिना जाँच के गिरफ्तार करने का प्रावधान कहीं नहीं है।
उन्होंने बताया कि यह सुप्रीम कोर्ट कि सविधान पीठ के पृथ्वी राज चौहान के फैसले की भी अवमानना है। साथ ही यह सर्कुलर खुद राजस्थान के डीजीपी की गाइड लाइन्स व CRPC की धारा 41 A के भी खिलाफ है।
समता आंदोलन के मुताबिक अगर यह फैसला कोई और अफसर लेता तो अभी तक बर्खास्त हो चूका होता। वहीं पूछे जाने पर सोशल मीडिया पर एससी एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी की बातो को पराशर शर्मा ने महज एक अफवाह करार दिया है।
क्यों नहीं कर सकती पुलिस तुरंत गिरफ्तार
सुप्रीम कोर्ट के सविधान पीठ व संसद द्वारा पारित CRPC की धारा 41 A में यह साफ़ किया गया है कि कोई भी अपराध जिसमे 7 साल या उससे कम की सजा है उसमे पुलिस बिना वजह गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
अगर पुलिस अफसर द्वारा ऐसा किया जाता है तो उसपर कोर्ट की अवमानना के तहत कार्यवाई की जाएगी। जिस कारण एससी एसटी एक्ट में भी तुरंत गिरफ्तारी का फैसला एडीजी द्वारा पारित किया जाना कोर्ट की अवमानना है जिससे आगे उनकी मुश्किलें बढ़ना तय मानी जा रही है। पुलिस सिर्फ बिना जांच के FIR दर्ज कर सकती है गिरफ्तार नहीं।
दोषी एडीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा के खिलाफ जाएंग कोर्ट
जाति के आधार पर तुरंत गिरफ्तारी का सर्कुलर जारी करने वाले एडीजी के खिलाफ कोर्ट ऑफ़ कंटेम्प्ट पर समता आंदोलन समिति कोर्ट भी जाएगी। वहीं उन्होंने आईपीएस एसोसिएशन को भी इस विषय पर कार्यवाई करने के लिए ज्ञापन सौपा है।
Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem
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Bahut bahut dhanywad, logo ko jagruk krne hetu
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