Falana Report

ग्राउंड रिपोर्ट: इस गाँव के ब्राह्मण आज भी भीख मांगने को मजबूर, एक वक़्त का खाना खाए बिना सोते है

रीवा: मध्यप्रदेश में विंध्य क्षेत्र ऐसा इलाका है जहां बड़ी तादात में ब्राह्मण रहते हैं। इस क्षेत्र में आने वाला एक रीवा जिला है जहां लगभग आधी आबादी ब्राह्मणों की है और उल्लेखनीय ये है कि यहां के कई ब्राह्मण हमेशा आर्थिक तंगी से जूझते रहे हैं।

हमारे एडिटर शिवेंद्र तिवारी ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान रीवा जिले में एक ऐसे ही ब्राह्मण बुजुर्ग के पास पहुंचते हैं जिनकी व्यथा सिस्टम से सवाल खड़ी करती आई।

दरअसल रीवा जिले के सेमरिया तहसील अंतर्गत वीरखाम नामक गाँव आता है जहां के निवासी ब्राह्मण जगदीशपुरी गोस्वामी (उम्र 60-65 लगभग) आज भी भीख मांगकर अपना जीवन काटते हैं।

Jagdishpuri Goswami poor brahmin in Rewa, MP

जगदीशपुरी के अनुसार उनका एक बेटा है जो दिल्ली मुम्बई जैसे शहरों में जाकर निम्न कार्य करता है। उन्होंने बताया कि वो गांवों में जाकर खाने के लिए भिक्षा मांग लाते हैं अपने गाँव वीरखाम से निकलकर महीनों तक दूसरे गांव में रात बिताते हैं। और जब हमारे एडिटर मिले तो उस समय भी वो अपने गांव से 6-7 किलोमीटर दूर नदी पार करके भिक्षा मांगने ही आए थे।

जब आवास, राशन, पेंशन जैसी सरकारी योजनाओं के लाभ के बारे में पूछा गया तो जगदीशपुरी ने कहा कि आजतक घर नहीं बना एक कच्चा घर में जीवन कट रहा है। जबकि जमीन भी एकड़ भर भी नहीं है कि घर का लाभ न मिले। जब चुनाव आता है तो सरपंच कहते हैं सब काम करेंगे लेकिन उसके बाद सुनते भी नहीं।

जब पूछा गया कि कभी आवास योजना के बारे में सरपंच से कभी कुछ अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सरपंच साहब Sc-St से हैं तो हमें क्यों सुनेंगे। हम इतना जानते भी नहीं कि मुख्यमंत्री के पास जाएं। हमको घर मिल जाता तो आपकी बड़ी कृपा होती। पता नहीं क्यों हम लोगों के साथ भेदभाव होता है।

उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी का अभी तक वृद्धा पेंशन का भी लाभ नहीं मिलता था था और राशन योजना का भी लाभ इतने सालों बाद अब मिलता है 5 किलो अन्न खुद के लिए तो 5 किलो अन्न बेटे को। इस गरीब ब्राह्मण ने आगे बताया कि लगभग सभी ब्राह्मणो की स्थिति आज ऐसी ही है लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

घर का दुखड़ा उनका सबसे बड़ा दर्द झलक रहा था जिसमें कहते हैं और खपरैल का घर बरसात में बड़ी परेशानी होती है घर चूने लगता है। पर करें क्या रहते हैं उसी घर में जाएंगे भी कहाँ।

बरसात में भूखा सोना पड़ता है
गोस्वामी जी ने बताया कि बरसात में उन्हें सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खेती बाड़ी न होने के कारण अन्न की तलाश में कई दिनों तक भटक कर किसी तरह दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ हो पाता है। लेकिन मानसून के महीनो में कई रोज सिर्फ एक वक़्त का खाना ही खाकर सोना पड़ता है।

घर खपरैल का होने के कारण पानी से सब भीग जाता है। वहीं जाति की वजह से दलित प्रधान इनकी मदद नहीं करता है। कई लोगो ने आवास योजना का लाभ दिलाना चाहा लेकिन प्रधान ने घर बनने नहीं दिया।


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