सामूहिक दुष्कर्म की शिकार ब्राह्मण बेटी ने अस्पताल में तोड़ा दम, झाड़ियों में मिली थी किशोरी
बलिया- उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में नगरा थाना क्षेत्र के ताड़ी बड़ागांव में पिछले दिनों शनिवार को रोड किनारे मरणासन्न अवस्था में मिली ब्राह्मण लड़की की 6 दिन बाद वाराणसी के बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में बेहद दयनीय स्थिति में शुक्रवार को इलाज के दौरान मौत हो गई हैं।
जहां देर रात डाॅक्टरों द्वारा पोस्टमार्टम करने के बाद शनिवार को सुबह वाराणसी के हरिश्चन्द्र घाट पर पुलिस की निगरानी में नाबालिग का अंतिम संस्कार किया गया।
जानिए क्या था मामला?
आपको बता दे कि ताड़ी बड़ागांव में बीते शुक्रवार की शाम मेला देखने गई नाबालिग युवती मेले से अचानक गायब हो गई थी, जिसके बाद काफी खोजबीन करने पर शनिवार की सबह पीड़िता ताड़ीबड़ागांव के रूपवार-सिकरहटा मार्ग पर खून से लथपथ बेहोश हालत में मिली थी।
जिसके बाद पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म के मुख्य आरोपी नौशाद को गिरफ्तार कर लिया था, वहीं जांच के दौरान पुलिस पर फायरिंग कर भागने की कोशिश करने पर पुलिस ने आरोपी नौशाद को पैर में गोली मार दी थी।
इतना ही नहीं घटना के बाद टेंट का काम करने वाले आरोपी नौशाद के घर के बाहर आक्रोशित लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई थी और आरोपी नौशाद के घर पर बुल्डोजर चलाने की मांग के चलते रोड पर टेंट का समान फेंक कर चक्काजाम कर दिया था।
जिसके बाद भारी बवाल और जनआक्रोश के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने पुलिस की मौजूदगी में आरोपी नौशाद के घर के बाहर अतिक्रमण कर चबूतरे और टीन शेड को बुल्डोजर से तोड़ दिया था।
सोशलमीडिया पर फूटा लोगों का गुस्सा
इतना ही नहीं नाबालिग ब्राह्मण युवती की 6 दिन बाद अस्पताल में मौत हो जाने के बाद सोशलमीडिया पर प्रदेश सरकार और मीडिया के प्रति लोगों का काफी गुस्सा देखने को मिल रहा हैं।
एक यूजर्स प्रवीण कुमार सिंह ने ट्विटर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टैग करते हुए लिखा कि हाथरस की दलित बेटी को न्याय दिलाने के लिए पूरा ताकत झोंकने वाले, ताड़ीबड़ागांव की बेटी को न्याय कब और कौन दिलाएगा? क्या तथाकथित दलित ही न्याय के हकदार हैं, सवर्णों को अधिकार नहीं है।
वहीं एक अन्य यूजर विष्णु पाठक ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि नगरा (बलिया) ताड़ीबड़ा गाँव की पीड़ित बहन अब हम लोगों के बीच नहीं रही, देश की मीडिया, पक्ष, विपक्ष सहित तमाम सामाजिक संगठनों के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा, क्योंकि बेटी की जाति ब्राह्मण थी।