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कांग्रेस ने हिंदू कर्मकांडों व कुंभ मेला का किया विरोध, कहा- ‘सरकार न करे खर्च’

नई दिल्ली: मदरसा बंद करने के बाद कांग्रेस ने कुम्भ मेला व हिंदू कर्मकांडों का विरोध शुरू किया है।

असम में सरकार द्वारा संचालित मदरसों को नवम्बर से घोषणा के बाद देश में मदरसा पर बहस छिड़ गई है। वहीं कांग्रेस अब मदरसे के जरिए हिन्दू रीति रिवाजों को बंद करने की माँग करने लगी है। ऐसा ही एक बयान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता उदितराज ने दिया है। जिसमें उदितराज ने कहा कि “सरकारी पैसे से किसी धर्म की पढ़ाई नही की जाना चाहिए और न धार्मिक करम कांड हों।”

इसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता ने कुंभ मेले का विरोध भी किया और कहा कि “सरकार का कोई धर्म नही होना चाहिए। इलाहबाद के कुंभ मेला में उप्र सरकार द्वारा 4200 करोड़ का खर्च भी नही करना चाहिए था।”

राहुल प्रियंका सुविधावादी हिंदू: भाजपा

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता उदितराज के इस बयान को भाजपा ने आड़े हाथों ले लिया। पलटवार करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि “मित्रों ये है गांधी परिवार की सच्चाई, पहले हलफनामा दे कर सुप्रीम कोर्ट में कहा था “भगवान श्री राम मात्र काल्पनिक है, उनका कोई अस्तित्व नहीं” और अब प्रियंका वाड्रा जी का कहना है की कुंभ मेला भी बंद होना चाहिए! तभी तो दुनिया कहती है राहुल और प्रियंका “सुविधा-वादी” हिंदू है।”

मित्रों ये है गांधी परिवार की सच्चाई ..
पहले affidavit दे कर SC में कहा था “भगवान श्री राम मात्र काल्पनिक है ..उनका कोई अस्तित्व नहीं” और अब प्रियंका वाड्रा जी का कहना है की कुंभ मेला भी बंद होना चाहिए!!
तभी तो दुनिया कहती है राहुल और प्रियंका “सुविधा-वादी” हिंदू है !! https://t.co/RwsP71FmNo

नवंबर से सरकारी मदरसे बंद:

उधर असम की भाजपा सरकार किसी भी धार्मिक शिक्षा को महत्व देने के पुरजोर विरोध में खड़ी हो गई है। अब सरकार के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बयान में कहा कि “सभी राज्य संचालित मदरसों को नियमित स्कूलों में परिवर्तित किया जाएगा या कुछ मामलों में शिक्षकों को राज्य संचालित स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा और मदरसों को बंद कर दिया जाएगा। नवंबर में एक अधिसूचना जारी की जाएगी।”

सरकारी पैसे से कुरान की पढ़ाई नहीं:

असम मंत्री ने मदरसा शिक्षा पर स्पष्ट करते हुए कहा कि “मेरी राय में, सरकारी पैसे पर कुरआन नहीं पढ़ाया जा सकता है, अगर हमें ऐसा करना है तो हमें बाइबल और भगवद गीता दोनों को भी सिखाना चाहिए। इसलिए, हम एकरूपता लाना चाहते हैं और इस प्रथा को रोकना चाहते हैं।”

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