आरोपी भरत खरे खुद को कॉलोनी में बताता था कायस्थ, अब इसी आधार पर हटेगा SC-ST एक्ट
आगरा: ताजगंज के पुष्पांजलि ईको सिटी कालोनी में बच्चों के झगड़े में फर्जी एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद सेवानिवृत फौजी की पत्नी को जिन्दा जलाने के मामले में आरोपी भरत खरे की जाति को लेकर नई बाते सामने आई है।
कॉलोनी के निवासियों से जब हमारी टीम ने मामले की पड़ताल करी तो पता चला कि आरोपी अपने आप को कायस्थ जाति का बताया करता था।
कॉलोनी भी मात्र 7 से 8 वर्ष पुरानी है ऐसे में किसी को भी किसी के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। जिसके तहत आरोपी भरत खरे का परिवार अपने को कास्यस्थ जाति का बताया करता था।
वहीं आरोपी द्वारा कॉलोनी में खुद को कायस्थ बताये जाने की पुष्टि सीओ सदर महेश कुमार जी ने भी करी है। उन्होंने बताया कि भरत खरे की जाति कालोनी में कोई नहीं जानता था व सभी उसे कायस्थ जाति से समझते थे। वह सोसाइटी का अध्यक्ष भी रहा था।
जल्द हटेगा एससी एसटी एक्ट
सोसाइटी के लोगो के बयान के आधार पर अब जल्द ही अनिल राजावत के परिवार से एससी एसटी एक्ट का मुकदमा वापस ले लिया जायेगा। लेकिन फर्जी मुक़दमे ने एक मासूम महिला की ज़िन्दगी लील ली। वहीं दो बच्चो के ऊपर से माँ का साया भी उजाड़ दिया।
भरत खरे के लालच व एससी एसटी एक्ट के घातक प्रकोप ने एक बार फिर एक परिवार की हस्ती खेलती ज़िन्दगी को दो पल में ही ख़त्म कर दिया। खैर पुलिस ने कॉलोनी वालो के बयान दर्ज कर लिए जिसके आधार पर पीड़ित परिवार के ऊपर दर्ज एससी एसटी एक्ट अब जल्द वापस ले लिया जायेगा।
पैसे ऐठने के लिए लगाया था एक्ट, नहीं दिया तो जिन्दा फूंक दिया
पीड़ित परिवार के बच्चो की लड़ाई को एससी एसटी एक्ट में तब्दील कर उनके परिजनों को ही फसा दिया गया था।
जिसमे आरोपी पक्ष ने पीड़ित पक्ष से 15 लाख तक वसूलना चाहा। वहीं पीड़ित पक्ष द्वारा कोर्ट में केस लड़ने की जब बात कही गई तो उसे जिन्दा आग लगा दी गई थी ।
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