आंखें नहीं हैं, मैं मंदिर नहीं देख सकता पर भगवान के मंदिर के लिए एक ईंट की कीमत चुका सकता हूं
बाँदा: अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए मकर संक्रांति के पावन पर्व से श्री राम मंदिर निधि समर्पण अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत देश भर में संघ और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता राम मंदिर के लिए निधि एकत्रित कर रहे हैं।
इसी अभियान के दौरान कुछ प्रेरणादायक व सुखद तस्वीरें भी सामने आ रही हैं जिसका नजारा उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में देखने को मिला।
दरअसल बाँदा के दिव्यांग सज्जन ने भावुकता बस निश्छल दान किया और कहा देख नहीं सकता, पर श्रीराम मंदिर के लिए एक ईंट की कीमत तो चुका सकता हूं।
बांदा निवासी राजेश कुमार दिव्यांग हैं, देख नहीं सकते, घर-घर मांगकर अपना भरण पोषण करते हैं। इन्हें पता लगा कि श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए घर-घर समर्पण संग्रहित किया जा रहा है। तो राजेश ने भी अपने पास से 100 रुपये की राशि श्रीराम मन्दिर के लिए समर्पित की।
भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए राशि समर्पित कर राजेश ने कहा मेरी आंखें नहीं हैं, मैं मन्दिर नहीं देख सकता। लेकिन मैं भगवान श्रीराम जी के मंदिर के लिए एक ईंट की कीमत चुका सकता हूं।
अंत में उन्होंने कहा कि मैं प्रभु श्रीराम से यही प्रार्थना करता हूं कि वे मुझे अगले जन्म में आंखें दें ताकि मैं राम जी का भव्य मंदिर देख सकूं।
घर के लिए जोड़े पैसे किए दान:
इसके पहले इसी अभियान के तहत देश भर से कुछ भावुक और प्रेरणा दाई तस्वीरें भी सामने आरहे हैं। ऐसी कुछ तस्वीरें राजस्थान के कोटा से भी आई है।
दरअसल श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान, के अंतर्गत घर घर घूमते हुए निधी संग्रह टोली कोटा, धुलेट में रामचंद्र मेहरा के घर पहुंची, जिनके मकान का निर्माण कार्य चल रहा था। रामचंद्र सीमेंट और रेत लेने के लिऐ निकल रहे थे। टोली ने सहजता से कूपन लेने का आग्रह किया तो उन्हें देखकर कुछ सकुचाऐ फिर दोनों पति पत्नी अंदर गये और वापस आए।
रेत और सीमेंट के लिऐ जेब मे रखी पांच हजार पांच सौ पचपन रूपये निकालकर टोली को सौंप दी और कहा “मकान तो कुछ दिनों बाद भी बन जाएगा, पहले राम जी का मंदिर बनने दो!” बता दें कि रामचन्द्र के पुत्र शिवराज वर्तमान में चित्तौड़ में विभाग प्रचारक हैं इसके पहले बांसवाड़ा के जिला प्रचारक रह चुके हैं।
किन्नरों ने राम मंदिर के लिए किया भावुक समर्पण:
इसी कड़ी में राजस्थान के 20 किन्नरों ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए लाखों रुपये दान में दिए हैं। इसे अपने जीवन का एक भावनात्मक क्षण कहा है क्योंकि उन्होंने सदियों पहले बनाए रखा था कि भगवान राम ने आशीर्वाद दिया था कि उनके लिए कलयुग अच्छा होगा।
मिट्टी के बर्तन बेंचकर दान किए:
ऐसी ही एक तस्वीर महाराष्ट्र के बसई में देखने मिली जहां मिट्टी के बर्तन बेचकर गरीब परिवार ने राम मंदिर के लिए निधि समर्पित कर दी। दरअसल बसई के नालासोपारा शहर के लशावीर बस्ती में मिट्टी के बने मटके बेंच कर गरीब परिवार अपना जीवन यापन करता था जब उनसे धन संग्रह टोली ने अपनी स्वेच्छा से श्री रामलला के मंदिर निर्माण हेतु राशि समर्पण करने हेतु निवेदन किया जिस पर उन्होंने तत्काल 5, 10 रुपए के सिक्के से ₹100 का समर्पण कर दिया।
बताया गया कि 100 रुपए जो दान में दिया गया उतना ही परिवार के पूरे दिन की आय थी। लेकिन परिवार ने श्री रामलला के मंदिर के लिए रसीदे कटवाई तो संग्रहकर्ताओं ने उस राम भक्त गरीब परिवार को दिल से प्रणाम किया।
दान देने के 2 घन्टे बाद वृद्धा ने त्याग दिए प्राण:
वहीं मध्य प्रदेश के विदिशा से इसी अभियान के दौरान अद्भुत संयोग वाला मामला सामने आया है। दरअसल विदिशा जिले के मंडीबामोरा क्षेत्र के अंतर्गत दतेरा गांव निवासी राकेश आचार्य की माता शांति देवी आचार्य दान देने के कुछ घण्टों बाद ही स्वर्गवासी हो गईं।
85 वर्षीय शांति देवी ने मंदिर के लिए अपनी वृद्धावस्था पेंशन में से 2100 रुपए दान करने के कुछ ही घंटे बाद प्राण त्याग दिए। सिहोरा में निर्माण निधि समर्पण अभियान के प्रमुख मृगेंद्र सिंह ने बताया कि सुबह 9:00 बजे राकेश शर्मा ने राकेश सूर्यवंशी जी से कहा कि माताजी को मंदिर के लिए दान देना है तो राकेश सूर्यवंशी ने कहा कि अभियान टोली आपके घर आएगी।