दलितों ने भील के त्यौहार का उड़ाया मजाक तो भीड़ ने लिंचिंग कर उतारा मौत के घाट, आदिवासी दलित आपस में करते है भेदभाव
जालना: महाराष्ट्र में आदिवासी समाज की भीड़ ने दो दलित युवको की लिंचिंग कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। घटना मामले के 14 दिन बाद तब प्रकाश में आया जब फलाना दिखाना टीम को इस बाबत गाँव के लोगो ने सूचित किया। आपको बता दें कि 4 सितम्बर को दो दलित युवक राहुल बोराडे व प्रदीप बोराडे को बड़ी निर्ममता से भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला था। जिसके बाद कई दलित एक्टिविस्ट ने मामले में सीबीआई जाँच की मांग करी है। वहीं पुलिस ने मृतकों के परिवार की ओर से 50 भील समाज के लोगो पर केस दर्ज किया है।
वहीं खुनी भीड़ ने दलित युवको के 30 वर्षीय बड़े भाई रामेश्वर व माँ नर्मदा को भी मारकर बुरी तरह घायल कर दिया था। जानकारी के मुताबिक दोनों घायलों का जालना के जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है।
मृतकों के परिवार ने बताया कि दलित होने की वजह से आये दिन भील समाज उनसे द्वेष रखता है व अक्सर भेद भाव व मार पीट करता है। इसी कड़ी में भील समुदाय के लोगो ने परिवार के दो युवकों को साजिश के तहत भीड़ द्वारा मौत के घाट उतार दिया। जिसमे मौका पाते हुए मृतकों के भाई व माँ को भी बुरी तरह घायल कर दिया।
वहीं परिजनों के इसी बयान को आधार बनाते हुए पुलिस ने आईपीसी के सेक्शन 120 (B) के तहत भीड़ द्वारा हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। भीड़ के 50 लोगो को चिह्नित कर उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे है। सभी लोग भील समुदाय से सम्बंधित है। मामले पर एसडीपीओ सुधीर खिरडकर ने बताया कि पुलिस ने अभी तक 25 लोगो को गिरफ्तार कर लिया है व बाकी के बचे लोगो की गिरफ़्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।
साथ ही परिजनों की ओर से 5 अन्य लोगो के नाम भी जोड़े गए जिनको लेकर भी पुलिस गिरफ़्तारी के प्रयास कर रही है। आगे एसडीपीओ ने बताया कि सभी दोषियों पर जाँच कर अन्य कठोर धाराओं को जोड़ा जाएगा जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सके।
क्या थी घटना
दरअसल 4 सितम्बर को दोनों भाई सुबह 6 बजे शौच के लिए गए थे जहां रास्ते में उन्हें भीड़ ने घेर कर मौत के घाट उतार दिया। परिजनों के मुताबिक भील समुदाय अकसर दलितों के साथ भेदभाव करता है जिसके कारण उसने पिछले विवादों को कारण बना उनके बच्चो की लिंचिंग कर डाली।
वहीं गाँव वालो ने बताया कि राहुल और प्रदीप ने 17 अगस्त को हिन्दू त्यौहार बैल पोला( एक ऐसा त्योहार जिसमे किसान अपने बैलो की पूजा करते है। यह त्यौहार श्रावण मास के पिठोरी अमावस्या के दिन मनाया जाता है) को मानते देख भील समुदाय का मजाक बना दिया था। गाँव वालो ने बताया कि बोराडे समुदाय बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गया है जिस कारण वह आये दिन हिन्दू रीतिरिवाजों को लेकर कटाक्ष करते थे।
उसी बहस में राहुल बोराडे व प्रदीप बोराडे की बहस भील समुदाय से हो गयी थी जिसमे भील समुदाय के लोगो ने दोनों को मारा पीटा भी था। लेकिन पुलिस ने सख्ती से कार्यवाई नहीं करी थी।
जिसके बाद दो हफ्तों के बाद भील समुदाय ने दोनों दलित युवकों को साजिश के तहत मौत के घाट उतार दिया। ज्ञात होकि दोनों युवक जालना जिले के पांशेंद्रे गाँव से है। गाँव में भील समुदाय की आबादी 20 प्रतिशत के करीब है वहीं बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो चुके दलित बोराडे परिवारों की संख्या 8 प्रतिशत के करीब है।
Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem