मायावती का भीमआर्मी पे हमला, बोलीं- कानून हाथ में लेना इनके लिए आम बात हो गई है !
लखनऊ UP : मायावती ने दिल्ली में भीम आर्मी के उपद्रव की घटना के बाद जमकर हमला बोला है !
आपको बता दें कि 21 अगस्त को संत रविदास मंदिर को ढहाए जाने के विरोध में भीम आर्मी नें दिल्ली बंद का आयोजन किया था और रैली की गई थी । जबकि संवेदनशील स्थल होने के नाते पुलिस नें पहले से ही वहां धारा 144 लगा दी थी लेकिन परमिशन के बिना रैली निकाली गई जिसके बाद समर्थकों नें उग्रता दिखाई और पुलिस से झड़प हुई जिसमें कई पुलिसकर्मियों को चोटें आईं । वहीं सार्वजनिक संपत्ति को भी बहुत नुकसान पहुंचाया गया, कारों के शीशों को डंडों से चकनाचूर कर दिया गया ।
मजबूर प्रशासन नें कानून हाथ में लेने के कारण भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण सहित कई समर्थकों को हिरासत में ले लिया गया था ।
इधर मायावती ने भीम आर्मी का नाम न लिए वगैर तीखा हमला बोला और कानून व्यवस्था को हाथ में लेने, तोड़फोड़ करने को अनुचित बताया ।
मायावती ने भीम आर्मी को इशारों ही इशारों में हमला किया और कहा कि बीएसपी के लोगों द्वारा कानून को अपने हांथ में नहीं लेने की जो परम्परा है वह पूरी तरह से आज भी बरकरार है जबकि दूसरी पार्टियों व संगठनों के लिए यह आम बात है।”
इसके बाद उन्होंने संत रविदास के मानवता वादी सोच पर कहा कि “हमें अपने संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बेकसूर लोगोंं को किसी भी प्रकार की तकलीफ व क्षति नहीं पहुँचानी है।”
इसके बाद मायावती ने दलित संगठन भीम आर्मी को लपेटे में लेते हुए कहा कि “कल दिल्ली के खासकर तुगलकाबाद क्षेत्र में जो तोड़फोड़ आदि की घटनायें घटित हुई हैं वह अनुचित है तथा उससे बीएसपी का कुछ भी लेना-देना नहीं है। बीएसपी संविधान व कानून का हमेशा सम्मान करती है तथा इस पार्टी का संघर्ष कानून के दायरे में ही रहकर होता है।”
इसके बाद उन्होंने अपनी ही पार्टी BSP को कानून व्यवस्था का सम्मान करने का संदेश दिया और कहा कि “बीएसपी के लोगों को किसी भी अतिदुःखद घटना के घटने के बाद अगर सरकार कहीं पर धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाती है तो उसका उल्लंघन नहीं करना है व अन्य पार्टियों के नेताओं की तरह घटनास्थल पर जबर्दस्ती नहीं जाना है ताकि सरकार को निरंकुश व द्वेषपूर्ण कार्रवाई करने का मौका नहीं मिल सके।”
1. बीएसपी के लोगों द्वारा कानून को अपने हांथ में नहीं लेने की जो परम्परा है वह पूरी तरह से आज भी बरकरार है जबकि दूसरी पार्टियों व संगठनों के लिए यह आम बात है। हमें अपने संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बेकसूर लोगोंं को किसी भी प्रकार की तकलीफ व क्षति नहीं पहुँचानी है।
— Mayawati (@Mayawati) August 22, 2019