आरक्षणv/sवोट: MP चुनाव के बाद कांग्रेस का 13% OBC वोट घटा था, उतना OBC आरक्षण बढ़ा दिया…!
MP: विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को ओबीसी के 41% वोट मिले थे, लोकसभा में घटकर 27% पर आ गया
भोपाल (MP) : CSDS डाटा के अनुसार विधानसभा चुनाव के बाद काँग्रेस को 13% OBC वोटबैंक का नुकसान हुआ था और उसकी भरपाई के लिए वादे के मुताबिक सरकार नें लगभग उतने प्रतिशत आरक्षण बढ़ाया है |
मध्यप्रदेश में लगभग 15 वर्षों के वनवास के बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में वापसी कर चुकी है | राज्य में 17 दिसंबर 2018 को कमलनाथ नें सूबे के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी हालांकि उसके लगभग 6 महीनों बाद ही लोकसभा चुनाव हुए, 4 चरणों में वोटिंग कराई गई एक बार फिर से कांग्रेस को उम्मीदें थी कि हाल ही में विधानसभा चुनाव जीतने का लाभ लोकसभा में दिखेगा लेकिन ऐसा कतई नहीं हुआ | 2014 में कांग्रेस को पूरे राज्य में छिंदवाड़ा व गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया की 2 सीटें ही मिली थीं बाकी 27 कांग्रेस बुरी तरह हार गई थी |
लेकिन 2019 में भी सूरतें हाल वही रहे बल्कि बद से बदतर हो गए, 62 साल बाद सिंधिया परिवार की सीट भी हार गई | यानी कि कांग्रेस की एक उम्मीद थी कि कम से कम कमलनाथ के बेटे व सिंधिया की सीटें तो बचा ही लेंगे उसमें भी पानी फिर गया और पार्टी को सिर्फ नकुलनाथ के रूप में छिंदवाड़ा सीट ही हाथ लगी |
हालांकि बुरी तरह हारने के बाद कमलनाथ टीम अगले चुनावों में वोटबैंक इकट्ठा करने की जुगत में लग गई है और घोषणापत्र में किए गए सबसे अचूक वादे यानी आरक्षण का गेम खेल दिया है | विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि सरकार बनते ही राज्य में वर्तमान के 13% OBC आरक्षण को बढ़ाकर 27% करेंगे | हालाँकि लगभग 6 महीनों की सरकार के बाद भी उनका ये काम पूरा नहीं हुआ हालाँकि पहली जनवरी 2019 में कैबिनेट की पहली ही मीटिंग में इसका प्रस्ताव पास किया गया था अध्यादेश पर राज्यपाल आनंदी बेन के हस्ताक्षर भी हो चुके थे लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट नें टांग अड़ाकर इसपर स्टे लगा दिया था |
इधर लोकसभा में कमलनाथ की कांग्रेस पार्टी को ओबीसी वोटबैंक में खासा नुकसान झेलना पड़ा | हमनें चुनावी सर्वे करने वाली संस्था CSDS के पोस्ट पोल सर्वे का अध्ययन किया जिसमें राज्य में जातिगत वोटबैंक का इसमें काफ़ी योगदान रहा | हमनें पाया कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को ओबीसी के 41% वोट मिले थे लेकिन लोकसभा में ये सीधे 13% घटकर 27% पर आ गया | वहीं विरोधी पार्टी यानी भाजपा को जबरदस्त फायदा हुआ यानी वोटबैंक 48% से उछाल मारते हुए 66% पहुंच गया |
इसी वोटबैंक के नुकसान को देखते हुए कमलनाथ सरकार नें चुनाव के बाद फिर से कैबिनेट मीटिंग में 27% ओबीसी आरक्षण का प्रस्ताव रखा जो पास हो गया अब उसे विधानसभा में लाने की तैयारी है और उम्मीद है कि वहाँ भी सर्वसम्मति से पारित हो जाएगा बचेगी कानूनी वैधता तो वो हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तय कर लेंगी |
यदि ये आरक्षण सभी जगह से पास हो जाता है तो MP पूरे में 27% आरक्षण देने वाला पहला राज्य हो जाएगा और 10% EWS सहित कुल आरक्षण 73% होगा जो महाराष्ट्र में 75% के बाद 73% के साथ दूसरा राज्य बन जाएगा |
वहीं एक अजीबोगरीब इत्तेफ़ाक कहें या सरकारों की जातिगत वोटबैंक मनसा कि विधानसभा चुनाव में जितने प्रतिशत ओबीसी वोटबैंक का अचानक नुकसान हुआ उसकी भरपाई के लिए लगभग उतने ही प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है | हालाँकि आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी कि इसका कितना फ़ायदा कमलनाथ टीम को होता है ?