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जमीन पर कब्जा करने से रोका तो लगा दिया एससी एसटी एक्ट, माँ के साथ 6 साल के बच्चे को भी भेजा जेल

टिहरी – उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में अपनी निजी जमीन न बेचने पर भू-माफियाओं और राजनीतिक नेताओं की मिलीभगत के चलते एक मध्यवर्गीय परिवार के ऊपर एससी एसटी एक्ट का फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया गया है, इतना ही नहीं आश्चर्य तो तब हुआ जब एक 6 साल के नाबालिग बच्चें को भी एससी एसटी एक्ट के तहत जेल भेज दिया गया।

जिसके बाद पीड़ित परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग सहित पुलिस अधीक्षक महोदय और जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर सीबीआई जांच कराने की मांग की हैं।

पीड़ित परिवार को किया जा रहा परेशान

वहीं इस पूरे मामले में एक लोकल न्यूज़ चैनल से बात करते हुए नरेश चंद्र ने बताया कि राजस्व विभाग के दस्तावेजों में जमीन पीड़ित के नाम पर है, लेकिन इसके बावजूद भू-माफियाओं द्वारा उनकी जमीन हड़पने की कोशिश की जा रहीं हैं। उन्होंने कहा कि बीते दिनों 29 मार्च 2022 को एसडीओ मुनी की रेती कार्यालय में भी विद्युत कनेक्शन और पेयजल हेतु नरेश चंद्र के द्वारा आवेदन किया गया था, लेकिन आरोप है कि कुछ भू-माफियाओं के दबाव में उन्हें विद्युत और पानी का कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है।

जिसके संबंध में उन्होंने 1 अगस्त 2022 को जनता दरबार में जिलाधिकारी को भी अपनी समस्याओं से अवगत कराया था, जिसके बाद जिलाधिकारी द्वारा मौके पर ही एग्जीक्यूटिव इंजीनियर विद्युत एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पेयजल को 1 सप्ताह के अंदर कनेक्शन जारी करने हेतु निर्देशित किया था। लेकिन जिलाधिकारी के आदेश का आज तक पालन नहीं किया गया, जिसके बाद पीड़ित परिवार को मजबूरी बस भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा था।

Sc-St Act

आरोप ये भी है कि भू-माफियाओं और केबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के द्वारा जमीन हड़पने के चक्कर में फर्जी एससी एसटी एक्ट दर्ज करवाया गया है और पुलिस पर दबाव डालकर लक्ष्मी देवी, सीतादेवी, अमित, अतुल और 6 वर्षीय अभिनव को जेल भिजवा दिया हैं।

नहीं हुई जाति प्रमाण पत्र की जांच

इतना ही नहीं पीड़ित परिवार का आरोप है कि जिस महिला की शिकायत पर फर्जी एससी एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज करवाया गया है। वह आगरा की निवासी है और उसने गांव के ही एक युवक से शादी कर ली थी, जिसके बाद अभी तक जांच अधिकारी के द्वारा उसके जाति प्रमाण पत्र की जांच भी नहीं की गई हैं।

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