लॉकडाउन में क्रिकेट के लिए मना करने की सजा, पहले हमला फिर उल्टा SC/ST एक्ट लगाया !
भदोही UP : लॉकडाउन में क्रिकेट खेलने को मना करने पर शुक्ला परिवार पर हमला कर SC/ST एक्ट थोपा गया।
कोरोना महामारी के कारण 22 मार्च को देश के प्रधानमंत्री ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थी। हालांकि इस लाकडाउन का कई जगह धड़ल्ले से उल्लंघन भी किया गया। ऐसा ही एक मामला UP के भदोही जिले से भी आया। जिसमें एक परिवार के सदस्य की आंख क्षतिग्रस्त करके ऊपर से एससी एसटी एक्ट के मामले भी दर्ज करा दिए गए।
भदोही जिले के औरई थाने अंतर्गत चकदीरा शुकुलपुर गाँव की ये घटना जोकि न्याय की मांग के लिए सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई। इसके बाद ‘फलाना दिखाना’ की टीम ने पीड़ित आशुतोष शुक्ला के परिवार से इस घटना के बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि यह घटना लाख डाउन के पहले दिन 23 मार्च के दिन घटी थी।
पीड़ित आशुतोष के करीबी रिश्तेदार कन्हैयालाल मिश्र नें फ़लाना दिखाना की टीम से बातचीत कर गाँव के प्रधान परिवार पर गम्भीर आरोप लगाए। श्री मिश्र ने कहा कि “23 मार्च को आशुतोष शुक्ला के घर के सामने एक मैदान में SC/ST समाज के करीब 30 बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे जिसमें कुछ देखने वाले भी शामिल थे। तो जब पीएम मोदी की सोशल डिस्टेंसिंग की अपील को देखते हुए उन्हें क्रिकेट खेलने से मना किया गया तो गांव के प्रधान के बेटे ने इसके लिए अपने पिता को फोन किया।”
“कुछ देर बाद आशुतोष के घर में आकर दर्जनों लोगों सहित प्रधान व उसके बेटे नें गाली-गलौज की। और ऐसा करने से मना करने पर प्रधान के लोगों ने कुर्सी रोड डंडे से हमला कर दिया। जिसमें आशुतोष की आंख पर भी हमला किया गया, आंख को भारी क्षति हुई। हालांकि मेडिकल रिपोर्ट लॉक डाउन की वजह से अभी तक नहीं आ पाई तो ये कहना मुश्किल है कि आंख फूट गई है या नहीं।”
आगे कन्हैया लाल नें उल्टा एससी एसटी एक्ट के बारे में कहा कि “हमलावरों पर थाने में रिपोर्ट कराई गई, कई धाराओं में प्रधान सहित दो लोगों पर नामजद व चार अज्ञात पर पुलिस ने FIR दर्ज की है। लेकिन लॉक डाउन के उल्लंघन पर पुलिस ने मामला नहीं दर्ज किया और घटना के पहले 112 को कॉल किया गया जोकि लेट आई वरना ये घटना नहीं भी घटती। इसके बाद प्रधान व उसके लोगों ने SC/ST एक्ट के दुरुपयोग से उल्टा पीड़ित परिवार पर ही मामले दर्ज करा दिए।”
हालांकि शुक्ला परिवार स्थानीय पुलिस दे किसी के दवाब में आए बगैर वास्तविक दोषियों के खिलाफ ही न्यायसंगत कार्रवाई की मांग कर रहा है।
【नोट : ये मीडिया हाउस दिल्ली विश्वविद्यालय के मीडिया छात्रों द्वारा चलाया जा रहा है】