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हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फ़ैसला- ‘आपसी रंजिश में नहीं लगेगा SC-ST एक्ट…’

एमपी बार एसोसिएशन की तरफ से पिछले साल एक रिपोर्ट जारी कर कहा गया था कि करीब 80% मामले फर्जी पाए गए, वहीं 85% मामलो में OBC पर एक्ट थोपा गया

भोपाल (MP) : एससी एसटी एक्ट के बेजा इस्तेमाल में लगातार उठते सवालो के बीच जबलपुर हाई कोर्ट की ग्वालियर खंड पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है।

एमपी के ग्वालियर स्थित घाटमपुर में रहने वाले राजेश सिंह भदौरिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया है कि  आपसी रंजिश में प्रशासन एससी एसटी न लगाए।

दरअसल राजेश के पड़ोस में रहने वाले दलित परिवार से उनकी लम्बे अर्से से आपसी रंजिश चल रही थी जो एक दिन बड़े वाद विवाद में बदल गयी।

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कोर्ट ने अपनी जांच में पाया कि जिस समय दलित परिवार ने राजेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था उस वक़्त उन्होंने जातिगत भेदभाव का कोई आरोप नहीं लगाया था वही बाद में पुलिस की सांठ गाँठ के साथ बाद में धराएं बढ़वा दी थी।

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए है कि वह राजेश के परिवार पर लगी एससी एसटी एक्ट की धाराओं को तत्काल प्रभाव से वापस ले।

Story input: Dainik Bhaskar March 7, 2019

आपको हम बता दे कि एमपी बार एसोसिएशन की तरफ से पिछले साल एक रिपोर्ट जारी कर के कहा गया था की करीब 80 फीसदी मामले फर्जी पाए गए, वही 85 प्रतिशत मामलो में ओबीसी वर्ग से आने वाले लोगो पर एक्ट थोपा गया था।

लेखक : शिवेंद्र तिवारी, फ़ॉलो करें ट्विटर पर @ShivendraDU98

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5 Comments

  1. ʼजातिएक्टʼ किसी भी दृष्टिकोण से जायज़ नही। अपितु, ये विश्व भर में कायरतापूर्ण कदम माना जा रहा, अब विश्व समुदाय इस नीति के साथ खामियाज़ा का भुगतान करना भी शुरू कर दिया है सो, इसके निराकरण कर पूर्व में सुप्रीमकोर्ट के निर्णय के आधारित कर देने की आवश्यकता अब तो बन ही पड़ी है, जो ʼदेर आये दुरूस्त आयेʼ वाली बात शायद दो जाये अस्तु सदाशिवाय ।

  2. अब आने वाले समय में ओबीसी और सामान्य वर्ग के लोग अनुसूचित जाति और जनजाति के निवारण एक्ट को आपसी रंजिश बता कर उसे खत्म कराने की कोशिश करेगा जबकि हकीकत यह होती है कि देश में 50% मामले ऐसे हैं ओबीसी और सामान्य वर्ग के मित्र दलित समाज के लोग भी होते हैं और अपने ही समाज के लोगों से आपसी रंजिश के कारण sc-st एक्ट अपने दलित मित्र से अपने ही समाज के ओबीसी सामान्य वर्ग के लोगों पर एक्टर लगवा देते हैं इस वजह से कोर्ट से मेरा निवेदन है आप इसमें आपसी रंजिश का मामला वापस लीजिए इससे दलित समाज पर और भी दबाव बढ़ेगा और अपराधी अपराध करने के बाद आपसी रंजिश की बात करेगा

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