नेतागिरी

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की आवश्यकता नहीं है, यह हिन्दू राष्ट्र ही है: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि धर्म संसद के आयोजनों में दिए गए कथित अपमानजनक बयान हिंदू विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

धर्म संसद के आयोजनों में कही गई बातों पर निराशा व्यक्त करते हुए भागवत ने कहा, “धर्म संसद की घटनाओं में जो कुछ भी निकला, वह हिंदू शब्द नहीं, हिंदू कर्म या हिंदू मन था।”

आरएसएस प्रमुख की यह टिप्पणी नागपुर में एक समाचार पत्र के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित ‘हिंदू धर्म और राष्ट्रीय एकता’ व्याख्यान को संबोधित करते हुए आई। उन्होंने कहा, ‘यदि कभी मैं गुस्से में कुछ कह दूं तो वह हिंदुत्व नहीं है।’ संघ प्रमुख ने रायपुर में हुई धर्म संसद का उल्लेख करते हुए कहा कि आरएसएस या हिंदुत्व को मानने वाले इसमें विश्वास नहीं करते।

भागवत ने कहा, “हिंदुत्व एक ‘वाद’ नहीं है, हिंदुत्व का अंग्रेजी अनुवाद हिन्दुनेस है। इसका उल्लेख सबसे पहले गुरु नानक देव ने किया था, इसका उल्लेख रामायण, महाभारत में नहीं है, हिंदू का मतलब एक सीमित चीज नहीं है, यह गतिशील है, जो कि अनुभव के साथ लगातार बदलता रहता है।

उन्होंने आगे वीर सावरकर का जिक्र करते हुए कहा की “वीर सावरकर ने भगवद गीता का संदर्भ लेते हुए कहा था की हिन्दू समुदाय की एकता और अखंडता को संगठित करने पर बल दिया जाना चाहिए। ना की किसी को भी हानि पहुँचाने या उसे मारने के सन्दर्भ में।” उन्होंने आगे कहा कि व्यक्तिगत लाभ या दुश्मनी को देखते हुए दिया गया बयान हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। उन्होंने कहा, “आरएसएस या जो वास्तव में हिंदुत्व का पालन करते हैं, वे इसके गलत अर्थ में विश्वास नहीं करते हैं। संतुलन, विवेक, सभी के प्रति आत्मीयता ही हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करती है।”

भारत के ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के सवाल पर संघ प्रमुख ने कहा- भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की आवश्यकता नहीं है। भले ही इसे कोई स्वीकार करे या न करे, यह हिंदू राष्ट्र ही है। हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली है। यह वैसी ही है जैसी देश की अखंडता की भावना। मोहन भगवत ने कहा कि संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं बल्कि उनके मतभेदों को दूर कर उन्हें एकत्र करने में है।क्यूंकि इससे जो एकता पैदा होगी वो राष्ट्र को मजबूती देगी। अतः यह कार्य हम हिंदुत्व के माध्यम से करेंगे।

विशेष रूप से, हरिद्वार और दिल्ली में धर्म संसद ने धार्मिक नेताओं द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के कारण विवाद को जन्म दिया। कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले भड़काऊ भाषण 17 से 19 दिसंबर, 2021 के बीच हरिद्वार में यति नरसिंहानंद और दिल्ली में ‘हिंदू युवा वाहिनी’ द्वारा दिए गए थे।

26 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित इस तरह के एक अन्य कार्यक्रम ने भी उस समय विवाद खड़ा कर दिया जब हिंदू धर्मगुरु कालीचरण महाराज ने कथित तौर पर महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया।

इससे सम्बंधित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button