सवर्ण एक्ट बनाने के लिए याचिका डालेंगे पूर्व डिप्टी कमिश्नर, दलितों द्वारा सवर्णो पर बढ़ रहे अपराधों का दिया हवाला
जयपुर: चंद्रशेखर आज़ाद, प्रशांत कनोजिया व विलास खेरात पर छपी हमारी रिपोर्ट के बाद सवर्णो के साथ बढ़ने वाले भेदभाव को लेकर लोगो ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
हमने अपनी पिछली कुछ रिपोर्ट में बताया था कि कैसे दलित नेता सवर्णो और खासकर ब्राह्मणो व राजपूतो के खिलाफ आग उगलते हुए उनसे द्वेष करने के लिए लोगो को उकसा रहे है।
जिसके बाद भारत के उत्तर प्रदेश समेत कई बड़े राज्यों में सवर्णो के खिलाफ जातीय हिंसा की खबरे देखने को मिल रही है। इसमें ख़ास बात यह की जातीय हिंसा करने में पुलिस व सरकारी पदों पर बैठे बड़े बड़े अफसर भी शामिल हो रहे है।
ऐसे में राजस्थान में सुचारू रूप से सामान अवसरों की मांग करने वाली समता समिति इसके विरोध में उतर आई है। समता समिति के अध्यक्ष व पूर्व डिपुटी कमिश्नर पाराशर शर्मा ने हमें बताया कि उनका संगठन एससी एसटी एक्ट की तरह ही सवर्णो के लिए एक एक्ट बनाये जाने की मांग करने जा रहा है।
पूर्व डिप्टी कमिश्नर के मुताबिक उनकी टीम अभी इन दलित नेताओ के खिलाफ प्रमाण इक्खट्टा करने का प्रयास कर रही जिसमे उन्हें हमारे द्वारा छापी गई कई रिपोर्ट का उल्लेख भी किया है।
साथ ही सवर्णो व सबसे महत्वपूर्ण महिलाओ के विरुद्ध जिस तरह से जातीय गालियां व अश्लील शब्दों के प्रयोग को दलित संगठनों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है उसपर भी संगठन ने अपनी चिंता जाहिर करी है।
ऐसे में समता समिति सभी प्रमाणों को जुटा आगे की रणनीति तैयार करने में जुट गई है। खैर आगे कोर्ट के माध्यम से किस तरह पूर्व डिप्टी कमिश्नर अपनी मांगो को मनवाएंगे इसका खुलासा अभी इन्होने करना जल्दबाजी करार दिया है।
पहले भी कर चुके है मीना को मिलने वाले आरक्षण का विरोध
मीना आरक्षण पर समता समिति की याचिका पर इससे पहले भी पूर्व में वर्ष 2014 को हाई कोर्ट ने मीना आरक्षण पर रोक लगा दी थी लेकिन सरकार ने आज तक इस पर कोई कार्यवाई नहीं करी है। ऐसे में समता आंदोलन ने एक बार फिर इस मुद्दे को कोर्ट में उठाने की बात करी है जिससे कोर्ट के आदेश को राज्य में लागू कराया जा सके।
एससी एसटी एक्ट पर भी लड़ चुके है केस
पूर्व डिप्टी कमिश्नर पाराशर के मुताबिक वह इससे पहले भी एससी एसटी एक्ट पर केस लड़ चुके है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2 अप्रैल के दंगे देखने को मिले थे। ऐसे में एक बार फिर उन्होंने एससी एसटी एक्ट के विरुद्ध में सवर्ण एक्ट बनवाने के लिए अपनी कमर कस ली है। जिसपर अधिक साक्ष्य जुटाने के बाद वह आगे कदम उठाएंगे।
अगर ऐसा एक्ट बनाने पर कोई याचिका दाखिल ही हो जाती है तो देश में पहली बार सवर्ण एक्ट की चर्चा जोर पकड़ने लग सकती है जिससे सबसे बड़ा झटका दलित संगठनों को लगना ही तय माना जा रहा है।
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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!