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सेना की राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट, जिसके वीरता की पाक सेना भी तारीफ़ को हुई थी मजबूर !

राजपुताना राइफल्स की स्थापना जनवरी 1775 में ब्रिटिशरों नें की, सेना की इस सबसे पुरानी रेजिमेंट के नाम है पहला परमवीर चक्र

नईदिल्ली : भारतीय  सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट का नाम है राजपुताना राइफल्स और इसका नाम ही दुश्मनों को डराने के लिए काफ़ी है |

आक्रमण पूर्व ‘राजाराम चंद्र की जय’ के नारे लगाती है रेजिमेंट :

आपको बता दें कि राजपुताना राइफल्स की स्थापना पहले जनवरी 1775 अंग्रेजों नें की थी इसके बाद 1921-22 में यह नए रूप में बनाई गई | और इसका कारण यह था कि अंग्रेजों को फ़्रांसीसी सेना से युद्ध करना था और उनसे निपटने के लिए भारत के कुछ खास के समुदाय के लोगों जैसे राजपूत, यादव व जाट (ज्यादातर संख्या) के तेजतर्रार फौलादी युवाओं की टुकड़ी बनाई गयी थी | और प्रमुख रूप से ये युवा राजस्थान, यूपी, एमपी के छोटे बड़े शहरों, कस्बों व गांवों से आते हैं |

आदर्श वाक्य इनका है वीरभोग्या वसुंधरा “वीर ही धरती का भोग करते हैं” | और इनका नारा है “राजाराम चंद्र के जय” और ये नारा चौवीसों घंटे ही इनकी रगों में ही दौड़ता रहता है और जब दुश्मनों पर हमला करना होता है तो यही नारा लगाकर जवान उनपर बिजली की तरह टूट पड़ते हैं |

पाक राजपुताना राइफल्स के नाम मात्र से कांपता है : 

भले ही ये रेजिमेंट अंग्रेजों की जमाने की है और इसनें दोनों विश्व युद्ध में भी लड़ाई लड़ी है लेकिन भारतीय सेना में ये रेजिमेंट पाक को 1948, 1965, 1971 व 1999 के सभी 4 युद्धों में दिन में ही बुरे सपने दिखा चुकी है |

कारगिल युद्ध में इसी रेजिमेंट को सबसे दुर्गम व कठिन तोलोलिंग चोंटी में पाक घुसपैठियों को खदेड़ने की जिम्मेदारियां मिली थीं जिसका उन्होंने बड़ी बहादुरी से निर्बहन किया था |

दुश्मनों को इसी रेजिमेंट नें ऊंची चोटियों पर दिन में तारे दिखा दिए और उनकी वीरता में 1999 का युद्ध भारत जीता जिसमें कई जवानों नें शहादत भी दी थी |

बहादुरी के लिए रेजिमेंट के नाम है कई मेडल :

राजपुताना राइफल्स के नाम इसके स्थापना से कई रिकार्ड हैं | दोनों विश्व युद्ध के अलावा भारत-पाक युद्ध में अदम्य साहस के लिए इसी रेजिमेंट को पहला देश का सबसे बड़ा सैनिक सम्मान यानी परमवीर चक्र वीरू सिंह को दिया गया था उसके बाद रेजिमेंट के नाम दूसरा बड़ा सम्मान अशोक चक्र भी 2 बार मिला |

अंग्रेजी सरकार नें भी इनकी बहादुरी के लिए विक्टोरिया क्रास से आजादी के पहले नवाज़ा था | एक आंकड़े के अनुसार अब तक इनके नाम 270 से ज्यादा सेना मेडल हैं |

इन जवानों में आपस में इतना बढ़िया तालमेल होता है कि ये जवान दूसरे के लिए अपने सीने में गोली खा सकते हैं | और हमारी falanadikhana.com की टीम राजपुताना राइफल्स के सभी जवानों को दिली सलाम करती है और हमें भारतीय सेना के हर रेजिमेंट की तरह इसको भी भारत के गौरव का कारण मानते हैं |

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