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जांच के दौरान SC/ST एक्ट के 51% केस फ़र्ज़ी- क्राइम डाटा 2019

जयपुर (Raj) : 2019 के आपराधिक आंकड़ों के मुताबिक एट्रोसिटी एक्ट के आधे से ज्यादा केस झूंठे पाए गए हैं।

देश में वंचित व शोषित तबक़ों के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग की सीमाएं लम्बी होती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट नें मार्च 2018 में इस एक्ट में बढ़ते दुरुपयोग के कारण अमूलचूक परिवर्तन किए थे। जिसे राजनीतिक दवाब के कारण बाद में केंद्र सरकार नें संसद में लाकर पलट दिया था।

इसी तरह अब राजस्थान पुलिस के आपराधिक आंकड़ों के मुताबिक SC/ST के अंतर्गत आधे से अधिक मामले फ़र्जी पाए गए हैं। इसी माह के शुरुआत में पिछले साल 2019 के आंकड़ों के मुताबिक एट्रोसिटी एक्ट से संबंधित मामलों की संख्या में भी काफी वृद्धि देखी गई।

राजस्थान पुलिस के DGP भूपेंद्र सिंह द्वारा जारी किए आंकड़ों के अनुसार SC/ST एक्ट के तहत फर्जी मामलों का प्रतिशत भी बढ़ गया है जिसमें SC के साथ 51 प्रतिशत और ST के साथ 50 प्रतिशत मामले जांच के दौरान नकली पाए गए।

पहले भी NCRB के आंकड़ों में पाया गया था कि एट्रोसिटी एक्ट में अधिकतर केस प्रेरित होकर लगाए जाते हैं। जिसके बड़े उदाहरण नोयडा के रिटायर्ड कर्नल, ख़ुद मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चुनाव प्रचार के दौरान। हाल ही में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ नए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नें SC/ST में केस दर्ज कराया था।


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