रामायण की चौपाई की आड़ में ब्राह्मण समाज के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार, शौचालय की दीवार पर लिखे गए आपत्तिजनक नारे
रायबरेली- आपको बता दे कि यह पहला मौका नहीं है, जब हिन्दू धर्म के धार्मिक ग्रंथों या ब्राह्मणों के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लिखकर दुष्प्रचार किया जा रहा हैं। घटना उत्तरप्रदेश के रायबरेली जिले से सामने आ रहीं है, जहां ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र के गौरा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले बेहीखोर गाँव निवासी वीरेंद्र यादव (जो खुद को शूद्र बताता है) के द्वारा घर के बाहर बनी शौचालय की दीवार पर धार्मिक ग्रन्थ रामचरित मानस की चौपाई का हवाला देकर ब्राह्मण समाज पर अमर्यादित टिप्पणी की गई हैं।
रामचरित मानस की चौपाई को तोड़ मरोड़ कर ब्राह्मण समाज के खिलाफ दीवार पर लिखे आपत्तिजनक नारों की फोटो सोशलमीडिया प्लेटफार्म पर वायरल होने के बाद लोगों में भी काफी आक्रोश देखा जा रहा है और इस कृत्य में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रहीं हैं। वहीं इस पूरे घटनाक्रम के बाद लोगों में उत्पन्न आक्रोश को देखते हुए पुलिस भी इस मामले की जांच में जुट गई हैं।
देश में ब्राह्मणों के खिलाफ लगातार उगला जा रहा जहर
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के बाद कुछ दिनों पहले दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भी ब्राह्मण विरोधी नारे लिखे गए थे, जहां कैंपस की इमारतों पर लाल रंग के पेंट से ब्राह्मण कैंपस खाली करो, यहां खून होगा, ब्राह्मण भारत छोड़ो, शाखा वापिस जाओ, जैसे विवादित और आपत्तिजनक नारे लिखे गए हैं। साथ ही साथ स्लोगन के माध्यम से ब्राह्मण-बनिया को कई तरह की धमकियां भी दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि ‘ब्राह्मण-बनिया हम आ रहें है, बदला लेगें। वहीं अगर सोशलमीडिया साइट्स की बात करें तो आये दिनों ब्राह्मणों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, उनके खिलाफ लोगों के मन में जहर बोया जा रहा हैं। सोशलमीडिया पर ब्राह्मणों को विदेशी और न जाने क्या -क्या कहा जा रहा हैं।
धार्मिक ग्रन्थों को बनाया जा रहा निशाना
आपको बता दे कि धार्मिक ग्रन्थ रामचरित मानस की चौपाई का कुछ मंदबुद्धि लोगों के द्वारा गलत अर्थ निकाल कर लोगों के मन सनातन धर्म और धार्मिक ग्रन्थों के खिलाफ जमकर जहर भरा जा रहा हैं। अभी कुछ दिनों पहले बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे, जहां उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए धार्मिक ग्रन्थ रामचरितमानस और मनुस्मृति को समाज को विभाजित करने वाली पुस्तक बताया था।
इतना ही नहीं इससे पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के द्वारा भी धार्मिक ग्रन्थ रामचरितमानस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी, जिसके बाद दोनों ही नेताओं के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने आरोप में कई स्थानों पर विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा भी दर्ज कराया गया था।