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एमपी में सरकार बनी तो करेंगे सरकारी आवासों से RSS को बैन : कांग्रेस

दरअसल आरएसएस को कांग्रेस द्वारा तीन बार बैन किया जा चूका है - पहला 4 फरवरी 1948 को, दूसरा आपातकाल(1975–77) और आखिरी प्रतिबन्ध बाबरी मस्जिद को गिराने के बाद 1992 को ।

एमपी(भोपाल) : मध्य प्रदेश की राजनीती जाने कितने और करवट बदलेगी यह तो आने वाला समय बताएगा परन्तु योजनाओ की झड़ियो से मन मोह लेने वाले मैनिफेस्टो से कांग्रेस ने राज्य की सत्ता पर काबिज होकर भाजपा को भी डसने का मूड बना लिया है।

‘वचन पत्र’ के नाम से प्रकाशित अपने गच खाते मैनिफेस्टो में कांग्रेस ने आरएसएस की शाखाओ को सरकारी परिसरों में बंद करवाने और सरकारी अफसरों को उसमे जाने की छूट सम्बंधित आदेशों को ख़त्म करने का वादा किया है।


वैचारिक रूप से दो अलग अलग छोर पर खड़े दोनों संगठन की तू-तू, मै-मै कि लड़ाई आजादी जितनी ही पुरानी है। आजादी के शुरुआती दौर में ही कांग्रेस सरकार द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंद थोप दिया गया था।

दरअसल आरएसएस को कांग्रेस द्वारा तीन बार बैन किया जा चूका है – पहला 4 फरवरी 1948 को, दूसरा आपातकाल(1975–77) और आखिरी प्रतिबन्ध बाबरी मस्जिद को गिराने के बाद 1992 को ।


जब जब कांग्रेस को मौका मिला है तब तब गाँधी परिवार ने प्रतिबन्ध के जरिये RSS को धूमिल करने की लाख कोशिशे की है।

इसी कड़ी में अपने घोषणा पत्र में आरएसएस की शाखाओ को निशाने पर लेते हुए कांग्रेस ने उन्हें सरकारी आवासों व कार्यालयों में प्रतिबंधित करने का वचन दिया है।

अपने मैनिफेस्टो में साथ ही कांग्रेस ने वादों की पोटली खोलते हुए सबको मकान, बारवी में 70 प्रतिशत से अधिक लाने वाले छात्रों को लैपटॉप और व्यापम को खत्म कर राज्य कर्मचारी चयन आयोग के गठन की लॉलीपॉप दिखाई है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या जनता को कांग्रेस द्वारा दिखाई जाने वाली हर रंग कि लॉलीपॉप पसंद आएगी या भाजपा कि भगवा लॉलीपॉप एक बार फिर सूबे में बिकेगी।

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