चुनावी पेंच

चुनाव आयोग महबूबा, फ़ारुख व उमर के चुनाव लड़ने पर लगा सकता है रोक, YFE का पत्र

संस्था यूथ फॉर इक्वलिटी(YFE) नें मंगलवार 9 अप्रैल को चुनाव आयोग द्वारा पीडीपी व नेशनल कान्फ्रेंस की मान्यता रद्द करने के लिए लिखा पत्र , जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 9(2) के तहत आयोग कर सकता है बड़ी कार्रवाई

जम्मू-कश्मीर : 2019 चुनाव में महबूबा मुफ़्ती, फ़ारुख अब्दुल्ला व उमर अब्दुल्ला के भाग लेने पर तलवार लटक गई है क्योंकि संस्था YFE नें जनप्रतिनिधि कानून का हवाला देकर इन नेताओं व इनकी पार्टियों की मान्यता रद्द करने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है |

दरअसल सोमवार को भाजपा नें अपने संकल्प पत्र में वादा किया था कि अगर फिर से वो सत्ता में आए तो जम्मू-कश्मीर से धारा 35(A) व 370 को हटाएँगे |  लेकिन इस पर जवाबी प्रहार करते हुए जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती नें विवादित बयान दिया | जिसमें उन्होंने कहा था कि “ना समझोगे तो मिट जाओगे हिंदुस्तान वालों” |

राष्ट्रीय अखंडता को चोट करने वाले इस बयान पर शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सुशासन जैसे अनेक राष्ट्रीय हितों के लिए काम करने वाली राष्ट्रीय संस्था यूथ फॉर इक्वलिटी(YFE) नें मंगलवार को चुनाव आयोग में जम्मू-कश्मीर की दो बड़ी पार्टियों पीडीपी व नेशनल कान्फ्रेंस की मान्यता रद्द करने के लिए पत्र लिखा |

YFE नें इस पत्र में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती व नेशनल कान्फ्रेंस के नेता फारूख़ अब्दुल्ला व उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला और राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों के उन बयानों को संदर्भित किया है जो पिछले कुछ समय में इन नेताओं द्वारा दिए गए हैं | देश में 2019 लोकसभा चुनाव के समय जम्मू-कश्मीर के इन नेताओं के बयान पर निराशा जताते हुए YFE नें चुनाव आयोग को संबंधित मामले से सूचित कराया है |

फलाना दिखाना की टीम से बात करते हुए YFE के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर कौशलकांत मिश्रा नें आयोग को लिखे पत्र के बारे में विस्तृत जानकारी दी | श्री मिश्रा नें कहा कि “इन नेताओं नें भारत की संप्रभुता व अखंडता को सीधे चुनौती देते हुए कई बार ये बयान दिए हैं कि यदि भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 35(A) व 370 हटाया गया तो जम्मूकश्मीर भारत से अलग हो जाएगा | ”

इसके आगे उन्होंने कहा कि “ऐसी गतिविधियों के जरिए जम्मू-कश्मीर की दोनों पार्टियों व इनके नेताओं नें राजद्रोह की भावना व्यक्त की है जबकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता है | ”

आपको बता दें कि जनप्रतिनिधि कानून (1951) की धारा 9(2) के तहत चुनाव आयोग को यह अधिकार होता है कि वो किसी भी पार्टी या नेता को चुनाव लड़ने के लिए इस आधार पर अयोग्य ठहरा सकता है कि इन पार्टी व नेताओं नें देश या राज्य विरोधी भावना को जान बूझकर व्यक्त किया है |

YFE नें चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि इन उपर्युक्त मामलों का शीघ्र परीक्षण करके तीनों पार्टी नेताओं के भविष्य में किसी भी चुनाव लड़ने को  अयोग्य करार किया जाए और इसके लिए प्रक्रिया को भी जल्द शुरू किया जाए |

हालांकि आयोग YFE के अनुरोध पर दोनों पार्टियों पीडीपी व नेशनल कान्फ्रेंस की मान्यता को भी कानून के अधीन अमान्य कर सकता है |

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