पुलिस बर्बरता के कारण जान गवाने के मामले में सपा सरकार सबसे ख़राब, योगी काल में मनीष गुप्ता पहली घटना
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर(Gorakhpur) में एक होटल में पुलिस की छापेमारी के दौरान कानपुर के व्यवसायी मनीष गुप्ता की हुई मौत ने राज्य पुलिस की बर्बरता पर सवाल उठाया है। विपक्षी दल इस घटना को लेकर हंगामा कर रहे हैं और ”अच्छे कानून-व्यवस्था” वाले बयान पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं।
बढ़ते प्रश्नों के बीच हमारी टीम ने पिछले 15 सालों में राज्य पुलिस द्वारा की गई बर्बरता पर एक रिपोर्ट तैयार की है। आंकड़े एनसीआरबी के रिकॉर्ड से प्राप्त किए गए हैं। आंकड़ों पर जाएं तो पिछली दो सरकारें पुलिस की बर्बरता के मामलों में सत्ताधारी दल की तुलना में बदतर थीं।
इन आंकड़ों में, हमने उन मामलों को लिया जहां पुलिस को रिमांड की पेशकश नहीं की गई थी, और इसकी निर्ममता के कारण नागरिकों की मृत्यु हो गई।
अखिलेश सरकार में सबसे खराब स्थिति
साल 2012 से 2016 तक के आंकड़े बताते हैं कि सपा सरकार राज्य के लोगों के लिए एक बुरा सपना थी। राज्य की पुलिस द्वारा हर साल औसतन 10 लोगों की हत्या की गई थी। वर्ष 2013 में पुलिस द्वारा की गई हत्याओं की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई।
सपा से ज्यादा दूर नहीं रही मायावती सरकार
बसपा वाली मायावती सरकार में भी पुलिस की बर्बरता से हुई अधिक मौत दर्ज की गई थीं। बसपा के शासन में औसतन 8 मौतें हुई थीं। साथ ही, सबसे ज्यादा मौतें 2007 में हुई थीं, जहां 11 बेगुनाहों की जान चली गई थी।
BJP | Deaths | SP | Deaths | BSP | Deaths |
2017 | 0 | 2012 | N/A | 2007 | 11 |
2018 | 0 | 2013 | 14 | 2008 | 5 |
2019 | 0 | 2014 | 8 | 2009 | 6 |
2020 | 0 | 2015 | 8 | 2010 | 9 |
2021 | N/A | 2016 | 9 | 2011 | 9 |
योगी सरकार में पहली मौत
एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक सत्तारूढ़ सरकार के पिछले 4 वर्षों में एक भी मृत्यु नहीं दर्ज की गई। यह बहुत संभावना है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, यह पहला हत्या का मामला होगा जहां व्यक्ति को पुलिस हिरासत में नहीं लेने पर अपनी जान गंवानी पड़ी।
2017 से 2020 तक, पुलिस की बर्बरता के कारण आंकड़ों में शून्य मृत्यु दर्ज हुई।
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