‘फ़ोनसेवा का विलाप करने वालों की कश्मीर में मजदूरों की हत्याओं पर चुप्पी प्रायोजित’: कुमार विश्वास
नईदिल्ली : कश्मीर में गैर स्थानीय लोगों, मजदूरों की हत्या पर चुप्पी साधने वाली पार्टियों को कुमार विश्वास नें जमकर लताड़ा है।
जम्मू और कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों द्वारा मंगलवार शाम को 5 गैर-स्थानीय मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमले में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया है और उसे अस्पताल ले जाया गया है।
मजदूर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से आए थे, मृतकों की पहचान कमलुद्दीन, मुर्सलीम, रोफिक, नईमुद्दीन और रोफीकुल के रूप में हुई है। पांचों मजदूर पश्चिम बंगाल के सागरदीघी पुलिस स्टेशन के तहत बहल नगर के बोखारा के निवासी थे।
CRPF: Unidentified terrorists shot dead 5 labourers and injured 1. The injured was evacuated to district hospital Anantnang. All the labourers were reportedly from Murshidabad, West Bengal. Troops of 18 Battalion Army and J&K Police reached the spot and cordon and search started https://t.co/NvSR3kJJar
— ANI (@ANI) October 29, 2019
और लगभग एक महीने पहले कश्मीर आए थे। घायल व्यक्ति की पहचान जोहिरुद्दीन के रूप में की गई है।
एक मृतक की मां ने कहा कि उसका बेटा इस समय कश्मीर नहीं जाना चाहता था। हालांकि, बाद में उन्होंने दूसरों के साथ वहां जाने का फैसला किया। उसने आश्वासन दिया कि वह एक महीने के बाद घर वापस आएगा और फिर धान काटेगा।
जबकि कुछ दिनों पहले ही कश्मीर में ही राजस्थान, छत्तीसगढ़ व पंजाब के रहने वाले तीन मजदूरों की हत्याएं कर दी गई थीं ।
Alwar(Rajasthan): Family of truck driver Ilyas Khan(who was killed by terrorists in Shopian) in mourning, his brother Rehmat(in pic 3) says ‘ He had gone to Kashmir to deliver milk and other supplies to the Army. We appeal to Centre to provide compensation&a govt job to us’ pic.twitter.com/ec21vysxYW
— ANI (@ANI) October 26, 2019
इधर इन मामलों को लेकर राजनीतिक दल अपने अपने कोने तलाश रही हैं वहीं देश हित के मुद्दों पर मुखर होकर बोलने वाले मशहूर कवि कुमार विश्वास नें उन लोगों पर तीखा निशाना साधा है।
जो जम्मू कश्मीर के हालातों को देखते हुए सुरक्षा के मद्देनजर कुछ दिनों तक संचार सेवाएं रोकी गई थीं, लेकिन कई राजनीतिक दलों व नेताओं नें इसे कश्मीर के लोगों पर ज़ुल्म करार कर दिया था। उदाहरण के तौर पर महबूबा मुफ्ती, गुलाम नबी आजाद, राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, आदि।
कुमार विश्वास नें एक बयान में कहा कि “कश्मीर में संचार बहाली पर दिन रात बेहाल रहे मेरे कुछ दोस्त जब आतंकियों द्वारा लाइन में खड़ा करके भूने गए राजस्थान-झारखंड-बिहार के बेक़सूर ड्राईवरों-कामगारों की नृशंस हत्या पर चुप्पी साध जाते हैं।”
कश्मीर में संचार बहाली पर दिन रात बेहाल रहे मेरे कुछ दोस्त जब आतंकियों द्वारा लाइन में खड़ा करके भूने गए राजस्थान-झारखंड-बिहार के बेक़सूर ड्राईवरों-कामगारों की नृशंस हत्या पर चुप्पी साध जाते हैं तब शक पुख़्ता होने लगता है कि हर ओर के रुदालियों का विलाप सुविधाजनक और प्रायोजित है?
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) October 30, 2019
आगे कुमार नें चुप्पियों को प्रायोजित बताते हुए कहा कि “ऐसी घटनाओं पर चुप्पी के बाद शक पुख़्ता होने लगता है कि हर ओर के रुदालियों का विलाप सुविधाजनक और प्रायोजित है।”