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फ़र्ज़ी SC/ST एक्ट से तंग ठाकुर समुदाय घर-जमीन बेच पलायन को मजबूर, बोले- पढ़इया बच्चों को बनाते हैं निशाना !

फिरोजाबाद (UP) : उत्तरप्रदेश में एससी एसटी एक्ट को लेकर काफ़ी परेशान करने वाली ख़बर आई है।

सूबे के एक गांव में कई परिवारों नें अपनी जमीन जायदाद बेंचकर दूसरे जगह पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। 2 दर्जन घरों की तस्वीरें आई हैं जिसमें जमीन बेचने को लिखा गया है।

Thakur Community In Firozabad’s Gothua Village Forced to leave village !

फिरोजाबाद जिले में गोथुआ गांव पड़ता है जहां लगभग 1 हज़ार के आसपास मतदाता वाली आबादी रहती है। यहां मुख्यतः अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति व क्षत्रिय (ठाकुर) समुदाय के लोग रहते हैं। लेकिन आरोपों के मुताबिक ठाकुर समुदाय के लोग अब गोथुआ में नहीं रहना चाहते हैं उसका सीधा कारण है समुदाय एससी एसटी एक्ट के दुरुपयोग से परेशान है।

मामला बेहद गम्भीर था कि जिस जमीन मकान को समुदाय के पूर्वजों नें न जाने कितने दशकों से सम्भाल कर बनाया हो आज उसे लोगों के डराने धमकाने के कारण छोड़ना पड़ रहा हो।

‘फ़लाना दिखाना’ की टीम नें पत्रकारिता की जिम्मेदारी लेते हुए मामले को शासन प्रशासन तक पहुंचाने के लिए सीधे प्रभावित लोगों से विस्तार पूर्वक बातचीत की।

फ़िलहाल मामला ये था कि 27 जनवरी को ठाकुर समुदाय के 4 बच्चों प्रवीण, अमन, धीरू व अखिल को ST समुदाय के एक परिवार नें बच्चों में आपसी मनमुटावी झगड़े के बाद इन चारों पर महिला उत्पीड़न का केस लगवा दिया जिसमें एससी एसटी एक्ट खुद लागू हो गया।

घटना के पीछे की असली वजह क्या थी ?

अब इस घटना की सच्चाई के कारण के बारे में जब हमारी टीम नें पूछा तो दावे में रंजीत सिंह राणा नें बताया कि बच्चों की आपसी लड़ाई में परिवार आया और इसमें घर की महिला का इस्तेमाल कर खुद ही कपड़े फाड़कर थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। इससे पहले 15-16 लड़कों को 10 साल पहले भी फँसाया गया था जिनका कैरियर बर्बाद हो गया और उन्हें प्राइवेट नौकरी करना पड़ रहा है।

निशाना क्यों बनाया जा रहा है, कोई विशेष कारण ?

गाँव में ST समुदाय के कुछ लोग हम ठाकुर समुदाय के बच्चों को आगे बढ़ना नहीं देखना चाहते। हम लोग मेहनत करते हैं नौकरियों की तैयारी करते हैं और जैसे ही उन्हें पता चलता है कि ये पढ़ने लिखने में ठीक है, इसकी नौकरी लगने वाली है वैसे ही उन बच्चों पर कोई न कोई केस लगवा देते हैं। और अब हम लोग परेशान हो चुके हैं आगे अब अपना कैरियर दाँव नहीं लगाना चाहते हैं।

घर जमीन क्यों बेंच रहा है समुदाय ?

क्यों कि जब हम और हमारे साथ नौकरी के लिए कई लड़के कोई आर्मी कोई सरकारी नौकरी करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। पता चला कि हम लोगों पर लगा दिया तो हमारा कैरियर तो खत्म। इससे अच्छा हम लोग यहां से छोड़कर कहीं और जमीन ले लेंगे वहीं घर बना लेंगे। और ये लोग रह लेंगे आराम की जिंदगी।

कभी प्रशासन व शासन तक मुद्दा उठाया ?

कई बार जनपद पंचायत के अधिकारियों से बात की है कोई नहीं ध्यान देता और अब हम लोग डर रहे हैं कि आगे कुछ न हो इसलिए यहां से जाना ही ठीक है।

पुलिस नें मुद्दे पर संज्ञान तो लिया है उसके बाद भी डर क्यों ?

ये केस फ़र्जी लगाने का सिलसिला बहुत दिनों से चल रहा पहली बार नहीं है। गांव में इस समय कुछ पुलिस वाले आए हैं। फ़िलहाल तो डर नहीं है पर ये कई सालों से चालू है और हम लोग परेशान हो चुके हैं। अब मीडिया वालों से और सरकार व प्रशासन से उम्मीद है कि जल्दी कोई हल निकाले।

 

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