गाड़ी में जाति लिखने से चालान कटा, जाति प्रमाणपत्र में लिखने से नौकरी कटेगी क्या ? यूजर
रविवार को नोयडा पुलिस के एक ऑपरेशन में नगर के गाड़ी वाहनों में नंबर प्लेट में जाति लिखने वाले 1457 को पकड़ा गया
नईदिल्ली : हाल ही में नोयडा पुलिस नें एक ऐसा काम किया जिसको लेकर सियासी हलका गरम हो चुका है हाँ आपने भी खबर या वीडियो देखा होगा जिसमें गाड़ी में जाति लिखने वालों के पुलिस नें चालान काटे |
एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले रविवार को नोयडा पुलिस के एक ऑपरेशन में नगर के गाड़ी वाहनों में नंबर प्लेट में जाति लिखने वाले 1457 को पकड़ा गया इसमें 62 वाहनों वाहनों को जब्त भी किया गया 561 वाहनों का चालान कटा, वहीं ग्रामीण इलाक़े में 37 वाहन जब्त किए गए 295 का चालान कटा | वहीं ट्राफिक पुलिस नें भी 601 वाहनों के चालान काटे |
ठीक है लेकिन एक व्यक्ति जो किसी भी राजनीति या विचारधारा से अलग सोचता होगा और देश को ही सबसे बड़ा मानता है जात-पात उसके जहन में नहीं रहता वो इस कदम को अच्छा मानता है | हाँ उसके साधारण तर्क भी हैं कि ये क्या होती है जाति हमारी पहली पहचान तो भारतीय के रूप में है और उसी को लेकर आगे बढ़ना चाहिए | ठीक है नोयडा पुलिस के इस काम की सबने सराहना कर दी लेकिन अब जब भारतीयता की बात आती है तो गाड़ी चलाने भर में नहीं दिखाई जा सकती है यानि कि किसी ख़ास अवसर पर आपको जाति नहीं दिखाना होगा बल्कि इसे हर जगह निभाना पड़ेगा |
ऐसे में बड़ा तार्किक प्रश्न लोग पूछते हैं भले ही वो किसी समाज या जाति, किसी विचारधारा से हों लेकिन उन्हें सवाल करने का बराबर हक़ है और उन्हें आप सवाल करने से रोक भी नहीं सकते क्योंकि उन्हें संविधान इस बात की तो आज़ादी देता ही है |
ऐसे ही एक फ़ेसबुक यूजर दीप सिंह सूर्यवंशी जो जातिगत आरक्षण को सही नहीं मानते हैं हालांकि ये उनकी व्यतिगत राय है लेकिन उनका सवाल बिल्कुल ज़ायज है यहाँ पर आप अवसरवादी बिल्कुल नहीं बन सकते |
दिलीप जी कहते हैं “जिस कानून और संविधान के तहत सरकार जाति देखकर नौकरी दी जाति है, लोगों को अन्य प्रकार की सुविधा देती है | उसी को फ़ालो करते हुए भारतवासी अपना जातिवादी लोगो कहीं पर भी लिख सकता है, ऐसा मेरा विचार है |”
तो ऐसे में कुछ लोगों का सवाल है कि गाड़ी में जाति लिखने से चालान कटी तो क्या जाति प्रमाण पत्र पर लिखने से नौकरी भी कटेगी क्या ?
लेकिन अंजुम साहब अपना ख़ास एजेंडा चलाकर दलाली करने वाले पत्रकारों पर कोई चालान नहीं हो सकता!समाज को तो जातियों का महत्व तो पत्रकारों और नेताओं ने ही समझाया है https://t.co/kF9pJkEGbh
— Shailesh Tewari?? (@stewariagra) July 10, 2019
इस प्रश्न का जिसके पास उत्तर होगा वो देगा या इसमें भी किंतु परंतु बंधु करके टाटा बाय बाय कर दिया जाएगा, लेकिन सिस्टम पर सवाल चुभेगा जरूर |