सोशल डब्बा

जानिए क्या थी ब्राह्मण रेजिमेंट, जिसको बनाने की मांग को लेकर दिनभर ट्वीटर रहा गरम

सोशल डब्बा: ट्वीटर पर आज दिन भर ब्राह्मण रेजिमेंट ट्रेंड में छाया रहा। लोगो ने जोर शोर से मांग रखी की वापस एक बार फिर ब्राह्मण रेजिमेंट को भारतीय सेना में शामिल किया जाना चाहिए जोकि अंग्रेज़ो के शासन में गठित की गई थी।

खैर ब्राह्मणो का भारत में युद्ध कौशल सिखाने का लम्बा इतिहास रहा है जिसमे पांडवो के गुरु रहे द्रोणाचार्य जिन्होंने मिलिट्री साइंस अर्थार्त धनुर्विद्या, युद्ध कौशल पांडवो को सिखाया था।

1857 में मंगल पांडेय द्वारा की कई पहली क्रांति को भी देश भली भांति जानता है। लेकिन जिस ब्राह्मण रेजिमेंट की आज बात हम कर रहे है उसे शायद ही कोई जानता हो।

Batch of 1st Brahmans Regiment

दरअसल पहली पूर्ण ब्राह्मण रेजिमेंट की शुरुआत वर्ष 1776 से हुई जिसको 30th बंगाल नेटिव इन्फेंट्री बटालियन के नाम से जाना जाता था। वहीं समय के साथ हुए बदलाव के साथ वर्ष 1901 में इसका नाम पहली बार 1st ब्राह्मण इन्फेंट्री पड़ा।

महज दो वर्षो बाद ही इसका नाम फिर बदल कर 1st Brahmans कर दिया गया था। 1st Brahmans भारत की प्रोफेशनल सेनाओ में से एक थी जिसको उसकी आकर्षित वर्दी के लिए भी जाना जाता था।

British and Indian officers of the 1st Brahmans, 1912

1st Brahmans ब्रिटिश इंडियन आर्मी की इन्फेंट्री विंग से सम्बन्ध रखती थी जिसको अवध के राज्य में सन 1776 में कप्तान टी नैलोर ने बनाया था। आगे चल कर 1922 में इसे बदलकर ‘4th Battalion 1st Punjab Regiment’ के नाम से जाने जाना लगा था। हालाँकि 1931 में इस इन्फेंट्री यूनिट को कई कारणों की वजह से बंद कर दिया गया था।

1st Brahmans Regiment Hockey winners 1912

इन युद्धों में अपने कौशल के लिए मिले थे सर्वोच्च तमगे
ब्राह्मण रेजिमेंट को अपने युद्ध कौशल के लिए जाना जाता रहा था जिस कारण से उसके आकर्षक वर्दी पर कई तमगे भी देखने को मिल जाते थे।

1st Brahmans Infantry

जिनमे से सेकंड मराठा वॉर 1803-05, एंग्लो-नेपालीज वॉर 1814-16, सेकंड एंग्लो-बर्मीज़ वॉर 1824-26 व भुरटपोरे कैंपेन 1826 में उनके कौशल कौशल का परचम आज तक लहराता है।

3rd Brahmans भी थी ब्राह्मण रेजिमेंट
1st Brahmans के साथ ही ब्रिटिश राज में 3rd Brahmans भी हुआ करती थी जोकि 1798 में गठित की गई थी। वहीं वर्ष 1922 में सेकंड एंग्लो-अफ़ग़ान वॉर व द्वित्य विश्व युद्ध में भाग लेने के बाद इसे बंद कर दिया गया था।

ब्राह्मण रेजिमेंट की क्यों उठी है मांग
दरसल बीते दो चार दिनों से ट्वीटर पर कभी अहीर रेजिमेंट तो कभी चमार रेजिमेंट को ट्रेंड कराया जा रहा था जिसके बाद आज ब्राह्मण रेजिमेंट को लेकर भी ट्वीटर पर यूजर्स छाए रहे।

इसका एक मकसद यह भी होता है कि सरकार को सिर्फ एक ओर से प्रेशर न मिले ताकि सेना में किसी भी तरह के जातिगत भेदभाव से बचा जा सके।

भारतीय सेना अपने मौजूदा रूप में बेहतर ढंग से कार्य कर रही है उसमे अहीर, चमार व ब्राह्मण रेजिमेंट को जोड़ना सेना के आत्मविश्वास व बंटवारे की भावना को ही पैदा करेगा। इसलिए हमें इन सब चीजों से जितना हो सके बचना चाहिए। जयतु भारतम


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