‘कश्मीर से विस्थापित ब्राह्मण कभी किसी शरणार्थी कैंप में नहीं रहे’- भास्कर में छपा स्तंभ, विरोध हुआ तो मांगी माफी
मुंबई: पिछले दिनों कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हिंदी समाचार पत्र दैनिक भास्कर के एक स्तम्भ में की गई टिप्पणी को लेकर समाचार पत्र ने माफी मांगी है।
दैनिक भास्कर अखबार सिनेमा संबंधित मुद्दों को लेकर “पर्दे के पीछे” के तहत स्तम्भ प्रकाशित करता है। और फ़िल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे ने 26 जून को “रक्तरंजित होते चिनार के पत्ते” नामक स्तम्भ लिखा। इस स्तम्भ में चौकसे ने कश्मीरी पंडितों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की।
उन्होंने लंबा चौड़ा स्तम्भ लिखा था जिसमें आपत्तिजनक टिप्पणी थी “कश्मीर से विस्थापित ब्राह्मण कभी किसी शरणार्थी कैंप में नहीं रहे। उन चतुर लोगों ने हिंसा प्रारंभ होने के पहले ही अन्य शहरों में अपने ठिकाने और व्यवसाय जमा लिए थे। शिमला में जन्मा एक कलाकार स्वयं को विस्थापित कश्मीरी ब्राह्मण कहा करता है।”
फ़िल्म समीक्षक चौकसे द्वारा कश्मीरी पंडित विरोधी घृणापूर्ण इस टिप्पणी को लेकर काफी विरोध जताया गया। लोगों ने कहा कि इस टिप्पणी से दशकों से विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाया जा रहा है।
विरोध में फ़िल्म निदेशक अशोक पंडित भी उतरे। उन्होंने ट्विटर पर दैनिक भास्कर को टैग कर कहा “आपके सम्मानित समाचार पत्र में लिखे गए झूठ से भरे इस लेख से मैं हैरान और स्तब्ध हूं। इसलिए मैं इस तथाकथित पत्रकार से सुधार और माफी चाहता हूं।”
काफी विरोध के बाद आज 28 जून के स्तम्भ में भास्कर ने टिप्पणी को लेकर आखिरकार माफी मांग ली। नोट में भास्कर ने लिखा “भास्कर समूह कश्मीरी पंडितों का सम्मान करता है। पिछले दिनों इस कॉलम में लिखे गए किसी वाक्य से उन्हें दुख पहुंचा हो तो उसके लिए हमें खेद है।”