‘अब टूट गिरेंगी ज़ंजीरें अब ज़िंदानों की ख़ैर नहीं’- CAA प्रदर्शन वाली नज़्म किसान आंदोलन में
नई दिल्ली: किसान आंदोलन के बीच अब पाकिस्तान शायर फैज अहमद फैज की नज्म ‘हम देखेंगे कि’ की लाइनें सुनाई दी हैं जिनपर CAA विरोध प्रदर्शन के दौरान गाने पर विवाद खड़ा हुआ था।
दरअसल शनिवार 12 दिसम्बर को विवादों में रहे किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां के बैनर तले नेहा सुसैठी नामक लड़की ने फैज की नज्म हम देखेंगे कि की कुछ पंक्तियां पढ़ी।
ऐ ख़ाक-नशीनो उठ बैठो वो वक़्त क़रीब आ पहुंचा है
जब तख़्त गिराए जाएंगे जब ताज उछाले जाएंगे
अब टूट गिरेंगी ज़ंजीरें अब ज़िंदानों की ख़ैर नहीं
जो दरिया झूम के उट्ठे हैं तिनकों से न टाले जाएंगे
हालांकि पिछले दिनों इतना कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने किसानों के समर्थन में एक वीडियो भी जारी किया हथा। इस वीडियो में उन्होंने फैज अहमद फैज की मशहूर नज्म ‘हम देखेंगे’ की कुछ पंक्तियों का इस्तेमाल किया था।
IIT कानपुर में CAA प्रदर्शन पर भी पढ़ी गई:
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर के कुछ छात्रों ने 17 दिसम्बर 2020 को परिसर में सी.ए.ए. विरोधी प्रदर्शन किया था और उन्होंने पाकिस्तान के प्रसिद्ध शायर फैज अहमद फैज की नज्म- ‘हम भी देखेंगे’ को गाया था। इसकी कुछ पंक्तियों-‘लाजिम है कि हम भी देखेंगे, जब अर्ज-ए-खुदा के काबे से, सब बुत उठाए जाएंगे… हम अहल-ए-वफा मरदूद-ए-हरम, मसनद पे बिठाए जाएंगे…, बस नाम रहेगा अल्लाह का…’ पर आपत्ति जताई गई थी।
जामिया में भी आजादी के नारे के बीच नज़्म:
9 जनवरी 2020 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में नागरिकता संशोधन कानून और जेएनयू में हुई एक घटना के विरोध में छात्र-छात्राओं ने मानव शृंखला बनाकर विरोध जताया था। बाद में बाब ए सैयद पर हुई एक सभा में गायक हैदर सैफुल्लाह पहुंचे और फैज अहमद फैज की नज्म ‘हम देखेंगे’ के साथ विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान केंद्र सरकार विरोधी और हमें चाहिए आजादी जैसे नारे भी लगाए गए थे।