Gyanvapi: आज होगी श्रृंगार गौरी की सुनवाई, हिंदू पक्ष ही कर रहा कॉर्बन डेटिंग का विरोध
वाराणसी: भगवान शिव की नगरी काशी में ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई आज यानी 29 सितंबर को है. 22 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई के बाद अदालत से बाहर आए वादी महिलाओं के वकील विष्णुशंकर जैन, सुभाषनंदन चतुर्वेदी ने मीडिया को बताया था कि उन्होंने सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग की है. अब इस मांग पर मस्जिद पक्ष यानी इंतजामिया कमेटी को अपना जवाब देना है. लेकिन 29 सितंबर की सुनवाई से पहले ही कार्बन डेटिंग को लेकर मंदिर पक्ष ही दो फाड़ में बंटा दिखाई देने लगा. वादी राखी सिंह ने अपने वकील अनुपम दिवेदी के जरिए कार्बन डेटिंग की मांग पर अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अपना विरोध दर्ज कराया है. विरोध के पीछे तर्क ये है कि कार्बन डेटिंग या किसी दूसरे ऐसे वैज्ञानिक तरीके जिससे सैंपल लेना पड़े, उससे शिवलिंग भंग होगा. जिससे सनातन धर्मावलंबियों की आस्था को धक्का लगेगा.
इस कारण हो रहा विरोध
अधिवक्ता अनुपम दिवेदी के मुताबिक किसी भी इनआर्गेनिक मैटेरियल के टेस्ट के लिए सैंपल लेना जरूरी है. राखी सिंह के विरोध के बाद अब बाकी अन्य चार वादी महिलाओं के वकीलों के भी सुर बदले हैं. वकील सुभाषनंदन चतुर्वेदी का कहना है कि हमारा जोर कार्बन डेटिंग पर नहीं है. शिवलिंग को भंग किए बगैर अगर कोई वैज्ञानिक जांच हो सकती है तो उसको किया जाए. इसके लिए हम अदालत से मांग करेंगे कि वो पुरातत्वविद की टीम बुलाकर उनकी राय लें.
पुरातत्वविद ने यह कहा
इस मसले पर बीएचयू के रिटायर्ड प्रोफेसर और विख्यात पुरातत्वविद प्रोफेसर सीताराम दुबे का कहना है कि पत्थर की कार्बन डेटिंग होना मुश्किल है. कार्बन डेटिंग करने के लिए कार्बन होना जरूरी है, जो पत्थर यानी शिवलिंग से कैसे मिलेगा. यानी कार्बनडेटिंग की राह में सुनवाई से पहले ही वादी महिलाओं के वकीलों के बीच पनपा वैचारिक मतभेद का रोड़ा साफ नजर आ रहा है. जिसके बाद ये उम्मीद कम ही है कि अब हिंदू पक्ष की ओर से कार्बन डेटिंग की मांग पर जोर देते हुए उसे सुनवाई में दोहराया जाएगा.
अब देखने वाली बात ये होगी कि अगर कार्बन डेटिंग नहीं तो फिर मंदिर पक्ष कौन सा दूसरा रास्ता खोजता है, जिस पर सभी की सहमति हो या फिर पुरातत्वविद वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की कोई राह बताते हैं. सभी निगाहें आज होने वाली सुनवाई में टिकी हुई हैं. आज सुनवाई के बाद ही ये स्पष्ट होगा कि कार्बन डेटिंग को लेकर वादी पक्ष क्या रुख अपनाता है.