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दलित शव को कोरोना होने पर दलित सफाई कर्मचारी ने जलाने से किया मना, भीम आर्मी ने 50KM दूर स्थित ब्राह्मण SC-ST एक्ट में दिया फसा

उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के महिदपुर में दलित के शव को न जलाने को लेकर फसाये गए प्रकाश दुबे केस में एक नया मोड़ आया है। जाँच में पता चला है कि प्रकाश दुबे उस दौरान मौके पर मौजूद ही नहीं थे। संचालक प्रकाश दुबे मौके से 50 किलोमीटर दूर अपने सरकारी कार्य से उज्जैन शहर गए हुए थे।

वहीं शव को जलाने से मना करने वाला व्यक्ति शमशान घाट का सफाई कर्मचारी व वाल्मीकि गली महिदपुर का निवासी प्रमोद था। प्रमोद ने अपने बयान में बताया कि 26 अगस्त को संचालक प्रकाश दुबे अपने सरकारी कार्य से उज्जैन गए थे व शमशान में वह सफाई व्यवस्था का कार्य देख रहा था।

तभी वहां शाम 6 बजे महिदपुर निवासी सोनू आया जिसे प्रमोद व्यक्तिगत तौर पर जानता है। सोनू ने प्रमोद से कहा कि एक डेड बॉडी आ रही है जिसकी COVID की वजह से मौत हो गयी थी लेकिन अब उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। सोनू ने फटाफट से लकड़ी तौलने व कंडे रखने के लिए प्रमोद से कहा।

प्रमोद ने जब नेगेटिव रिपोर्ट की मांग करी तो उसने देने से मना कर दिया। इस पर प्रमोद ने एक पत्रकार से बात करी तो उन्होंने बताया कि मौके पर राजस्व अधिकारी आ रहे है तब तक शव को अंदर नहीं लेना क्यूंकि यह COVID प्रोटोकॉल के खिलाफ है। राजस्व अधिकारी के आने की बात सुन कर सोनू वहां से चला गया और फिर लौट कर नहीं आया था।

Statement by Pramod

जिसको बाद में भीम आर्मी ने दलित बनाम ब्राह्मण बना अपनी रोटी सेकने के लिए दलित के शव को जलाने से मना करने की बाते बना संचालक के ऊपर एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया। जबकि संचालक को इसकी जानकारी नहीं थी।


दो महीने पहले इसी दलित के परिवार से ही एक लड़के का किया गया था अंतिम संस्कार
अधिक जानकारी जुटाने पर हमें पता चला कि लगभग घटना के दो माह पूर्व इसी परिवार में से एक लड़के का अंतिम संस्कार उसी शमशान घाट में किया गया था। लेकिन COVID के प्रकोप से मारे गए लोगो कि कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव दिखाना अनिवार्य है। जिस कारण सफाई कर्मचारी ने उनसे रिपोर्ट की मांग करी जिसपर वो वहां से चले गए। वहीं प्रकाश दुबे भी मौके से 50 किलोमीटर दूर अपने सरकारी कार्य से उज्जैन गए हुए थे जिसे सम्बंधित विभाग ने स्वीकार्य किया है।

परिवार का एक सदस्य जा चूका है जेल
पीड़ित परिवार से बात करने पर हमें जानकारी दी गयी कि प्रकाश दुबे ने शमशान घाट को सरकारी हाथो में देने की लड़ाई लड़ी थी। जिसके कारण अवैध खनन व कब्जे में FIR कराने वाले परिवार का एक सदस्य जेल भी जा चूका है। उसी की खुन्नस में वह प्रकाश दुबे को फसा रहे है।

पूर्णतः फर्जी एससी एसटी केस लेकिन फिर भी पुलिस गिरफ्तार करने पर अडी
पूर्णतः फर्जी एससी एसटी केस में प्रकाश दुबे गिरफ़्तारी से बचने के लिए घर नहीं आ रहे है। जिससे उनकी मानसिक स्थिति ख़राब होती जा रही है। वहीं पुलिस द्वारा उन्हें बस 24 घंटे के लिए गिरफ़्तारी देने का दबाव बनाया जा रहा है।

पीड़ित की बेटी ने हमें बताया कि जब उनके पिता दोषी नहीं है तो किस बात की गिरफ़्तारी। यह तो सरासर पुलिस द्वारा दबाव में उनकी प्रताड़ना की जा रही है। वहीं यह भी आरोप लागए जा रहे है कि IO शंकर सिंह चौहान भी बलई जाति से आते है जिस कारण वह प्रकाश दुबे की गिरफ़्तारी पर तुले हुए है।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem

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