मुखिया बालेश्वर यादव ने दलितों को झूठा आरोप लगा पेड़ में बाँध कर पीटा, 300 लोगो के सामने थूक चटाया फिर 30 हज़ार का जुर्माना थोपा
झारखण्ड: झारखण्ड के गिरिडीह जिले में दलितों के साथ बेहद घटिया हरकत को अंजाम दिया गया हैं। जहां झूठे आरोपों में कुछ दबंगो ने दलित के साथ अत्याचारों की सभी सीमाएं लांघ डाली।
घटना मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के सेनादोनी पंचायत अंतर्गत घंघरडीहा के टोला दंदूडीह की हैं जहां पर निवास करने वाले दलित परिवार के परमानंद दास और शंकर कुमार दास को पेड़ से बाँध कर मारने व भरी ग्राम सभा में थूक चटाने का मामला सामने आया हैं।
पीड़ितों के मुताबिक राजेश यादव, सुरेन्द्र यादव, दीपक यादव, कामदेव यादव, बंधु यादव, पवन यादव, पप्पू यादव समेत गांव के ग्रामीणों द्वारा बुधवार सुबह 8 बजे मुखिया बालेश्वर यादव की उपस्थिति में घर से खींच कर बाहर निकाल आम पेड़ में दोनों को बांध दिया गया और उनसे मारपीट की गई।
मुखिया बालेश्वर यादव इस घटना में मुख्य आरोपी बताया जा रहा हैं जिसने दलित परिवार को जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उनको नीच दिखाने का प्रयास कर रहा था। इतना ही नहीं मुखिया ने 300 ग्रामीणों की उपस्थिति में दलित को थूक चाटने पर विवश किया।
युवक पर क्या लगाए थे आरोप
पीड़ित शंकर कुमार दास ने बताया कि चार दिन पूर्व गांव का एक मवेशी हमारी खेत में लगी फसल को नष्ट कर रहा था। खेत से बाहर निकालने के दौरान मवेशी को मारने के क्रम में मवेशी की मौत हो गई थी।
इसे उक्त आरोपियों ने मवेशी को काटकर हमारे आंगन में लाकर रख दिया व मारपीट करने लगे। कहने लगा कि गांव की पंचायत में तुम लोगों को कबूल करना होगा कि हम लोग मवेशी को खाने के लिए काटे थे। इसका जब हम लोगों ने विरोध किया तो कहा पंचायत के दिन ही यह लोग को सबक सिखाएंगे।
जिसके बाद मुखिया ने पीड़ित परिवार के सदस्यों के साथ मानव अधिकारों के हनन का जमावड़ा लगा दिया। मुखिया बालेश्वर यादव द्वारा पीड़ित युवको पर 30-30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
वहीं पंचायत के दौरान पीड़ित दलित परिवार को गलती स्वीकार्य करने का दबाव भी बनाया गया था। पीड़ित के अनुसार मुखिया उन्हें जान से मरवा देगा जिसके लिए उन्होंने पुलिस से कार्यवाई की मांग करी हैं। वहीं पुलिस ने आवेदन स्वीकार्य कर कार्यवाई करने का भरोसा दिया हैं।
मुखिया जैसे जातिवादी लोगो की वजह से ही आज भी पेड़ से बाँध कर मारने व थूक चटाने की घटना राफेल लाने वाले भारत में घट रही हैं।
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